काले कोस
...मामाजी ! चिंटू की शादी में आना है ,आप जिमी की शादी में भी नहीं आए थे ! और न ही हमारे घर के किसी भी फंक्शन में आए हैं मुझे याद नहीं आज तक !
पापा ,मम्मी के चले जाने के बाद तो तकरीबन भूला ही दिया है आपने ,ना कोई चिट्ठी ,आमंत्रण ,फोन या संदेश कोई आता है आपका हम तक , हमसे क्या भूल हुई ,बताइये न ?
मैंने कहा नहीं नहीं कोई भूल नहीं हुई बस दूर बहुत पड़ता है लगातार 12 घण्टे बैठक नहीं हो पाती है ,फिर एक जन और चाहिए साथ में आने जाने को ,
एक से भले दो ,काले कोस के सफ़र में !
काले कोस कहकर आप टाल नहीं सकते और यह निर्णय भी तो आप लोगों का ही तो था दूर ब्याहने का ,हमारा क्या कुसूर ! आना ही होगा आपको ,मना नहीं चलेगा ,आपका आशीर्वाद चाहिए ही चाहिए , आइये बराबर आइये ,बहाने न बनाइये ।...