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दोस्त
जब हम बचपन में थे मेरी एक दोस्त नही बल्कि बहुत सारे दोस्त थे । सबको मैं एक मानती थी ना किसी को कम ना किसी को ज्यादा , बचपन में हम एक साथ बैठते थे , पढ़ते थे ,खेलते थे कूदते थे खाते थे पढ़ते थे और हम सब पढ़ने में बहुत अच्छे थे टीचर भी हमे बोलते थे तुमलोग दोस्त नही भाई बहन लगते हो , हम सब एक साथ थे बचपन में हमारी दोस्ती गहरी होती गई हमे बड़े होते गए , पर हमारी दोस्ती नहीं टूटी हम कॉलेज में भी एक साथ पढ़ने लगे थे । हमारा साथ बना ही रहा और ऐसेही हम बड़े हो गए हम मजे करने लगे और फिर हम सब एक साथ जॉब भी करने लग गए थे , हमारी दोस्ती यू ही बनी रही हमारा बचपन कब गुजर गया पता भी नही चला ऐसे दोस्त हो तो जिंदगी अच्छी बन जाती है , जो दोस्त सही राह दिखाए । ऐसा ही दोस्त तो होना चाहिए जो जिंदगी भर साथ निभाए।