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zainab chapter 02
देखते-देखते वक्त गुजारा. बारा माह कब एक साल में पूरा हुआ पता ही नहीं चला.अब हम प्लान कर रहे थे कि हमारे यहां छोटा महेमान आए. थोड़े महीने गुजरे ही थे कि हमारे घर में सदमा छा गया.अचानक से दादीमा के गुजर जाने से हम सब काफी डिस्टर्ब हो गए थे। वो कहते हैं ना इंसान के जाने के बाद ज्यादा याद आता है।
दादिमा बहुत सुलझे हुवे इंसान थे.इतनी उम्र में भी इतने एक्टिव के कभी कभी एसा हो जाता के...