zainab chapter 02
देखते-देखते वक्त गुजारा. बारा माह कब एक साल में पूरा हुआ पता ही नहीं चला.अब हम प्लान कर रहे थे कि हमारे यहां छोटा महेमान आए. थोड़े महीने गुजरे ही थे कि हमारे घर में सदमा छा गया.अचानक से दादीमा के गुजर जाने से हम सब काफी डिस्टर्ब हो गए थे। वो कहते हैं ना इंसान के जाने के बाद ज्यादा याद आता है।
दादिमा बहुत सुलझे हुवे इंसान थे.इतनी उम्र में भी इतने एक्टिव के कभी कभी एसा हो जाता के अगर मैं काम नहीं करूंगी तो वो काम कहीं ये ना कर ले....यही सोच कर ना चाहते हुवे भी काम कर लेती थी.उन्हें दोपहर में सोने की आदत नहीं थी, साड़ी में फॉल लगाने बैठ जाते, लहेसुन साफ करने लग जाते मतलब कुछ भी काम कर के अपने आप को व्यस्त रखते।
मुझ पर खास प्यार रहता था, अगर मैं 4 दिन के लिए मायके जाऊं तो भी 2 दिन में ही कॉल कर के बोलने लगते कि कब आने वाले हो? घर सुना हो गया है. हां फिर कभी मेरे से नाराज़ हो तो मुझसे ना कह कर मेरी सास से कहने लगते की तू समझा देना।
आखिरी वक्त में जिस तरह प्यार से उन्होंने देखा है मुझे अभी तक याद है....अब वो इंसान हमारे बीच नहीं है.या ये सदमा बहुत गहरा था.
****
ये हादसे के एक साल बाद मेरी ननद की शादी हो गई। हम सब काफी खुश थे। बहुत मजे की शादी हुई। अब मेरी शादी को 3 साल होने आए थे।मेने अब घर में बहुत अच्छी तरह अपनी जगह बना ली है। स्वाभिमान भी घर में फिर आ गया है। हर बात में मुझसे पूछा जाता है, घर के बड़े बैठे हो फिर भी मुझे बुला कर मशवरा किया जाता है।मेरे ससुराल में सब को मेरी समझदारी पर काफी भरोसा है। कुर्बानी कभी जाया नहीं जाती। लेकिन अब मैं एक बात से काफी परेशान रहने लगी हूं। ख्वाहिशें जब अधूरी रह जाती हैं तब दुनिया अच्छी होने के बावज़ूद भी बुरी लगने लगती है।अब मेरे साथ ऐसा ही कुछ हो रहा है।
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दादिमा बहुत सुलझे हुवे इंसान थे.इतनी उम्र में भी इतने एक्टिव के कभी कभी एसा हो जाता के अगर मैं काम नहीं करूंगी तो वो काम कहीं ये ना कर ले....यही सोच कर ना चाहते हुवे भी काम कर लेती थी.उन्हें दोपहर में सोने की आदत नहीं थी, साड़ी में फॉल लगाने बैठ जाते, लहेसुन साफ करने लग जाते मतलब कुछ भी काम कर के अपने आप को व्यस्त रखते।
मुझ पर खास प्यार रहता था, अगर मैं 4 दिन के लिए मायके जाऊं तो भी 2 दिन में ही कॉल कर के बोलने लगते कि कब आने वाले हो? घर सुना हो गया है. हां फिर कभी मेरे से नाराज़ हो तो मुझसे ना कह कर मेरी सास से कहने लगते की तू समझा देना।
आखिरी वक्त में जिस तरह प्यार से उन्होंने देखा है मुझे अभी तक याद है....अब वो इंसान हमारे बीच नहीं है.या ये सदमा बहुत गहरा था.
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ये हादसे के एक साल बाद मेरी ननद की शादी हो गई। हम सब काफी खुश थे। बहुत मजे की शादी हुई। अब मेरी शादी को 3 साल होने आए थे।मेने अब घर में बहुत अच्छी तरह अपनी जगह बना ली है। स्वाभिमान भी घर में फिर आ गया है। हर बात में मुझसे पूछा जाता है, घर के बड़े बैठे हो फिर भी मुझे बुला कर मशवरा किया जाता है।मेरे ससुराल में सब को मेरी समझदारी पर काफी भरोसा है। कुर्बानी कभी जाया नहीं जाती। लेकिन अब मैं एक बात से काफी परेशान रहने लगी हूं। ख्वाहिशें जब अधूरी रह जाती हैं तब दुनिया अच्छी होने के बावज़ूद भी बुरी लगने लगती है।अब मेरे साथ ऐसा ही कुछ हो रहा है।
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