शहर जल रहा था
शहर जल रहा था
लाेग मर रहे थे
लाेगाे के भागते भागते कड़ी धूप में
लाेगाे के पाव में छाले पड़ रहे थे
तब काेई सरकार से सवाल पूछ रहा हाेता था
ताे उसे गद्दार देश द्रोही कहां जा रहा था
लेकिन लाख गद्दार कहने के बावजूद वाे अपने सवालों पर अडिग रहता था
क्योंकि कि उसे यकीन था कि संविधान आम लाेगाे के साथ है
लाेग मर रहे थे
लाेगाे के भागते भागते कड़ी धूप में
लाेगाे के पाव में छाले पड़ रहे थे
तब काेई सरकार से सवाल पूछ रहा हाेता था
ताे उसे गद्दार देश द्रोही कहां जा रहा था
लेकिन लाख गद्दार कहने के बावजूद वाे अपने सवालों पर अडिग रहता था
क्योंकि कि उसे यकीन था कि संविधान आम लाेगाे के साथ है
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