सिर्फ भूख
भूख! भूख! भूख!
सिर्फ भूख!
भूख के लिए मानव क्या क्या कर डालता है। इसका कोई पता नहीं है। भूख की हड़ताल में मानव आकाश पाताल एक कर देता है।
लालची, आलसी, स्वार्थी.................जो क्षुधा की अग्नि को बुझाने के लिए कठिन परिश्रम कर डालता है। उस समय सूर्य चन्द्रमा और तारों में अंतर नहीं बता सकता।
परंतु भूख बुझाने के बाद आलस्य की निद्रा में मग्न होकर अच्छा बुरा सपने देखते हुए
कभी हंसता है तो कभी मुस्कुराते...
सिर्फ भूख!
भूख के लिए मानव क्या क्या कर डालता है। इसका कोई पता नहीं है। भूख की हड़ताल में मानव आकाश पाताल एक कर देता है।
लालची, आलसी, स्वार्थी.................जो क्षुधा की अग्नि को बुझाने के लिए कठिन परिश्रम कर डालता है। उस समय सूर्य चन्द्रमा और तारों में अंतर नहीं बता सकता।
परंतु भूख बुझाने के बाद आलस्य की निद्रा में मग्न होकर अच्छा बुरा सपने देखते हुए
कभी हंसता है तो कभी मुस्कुराते...