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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में है।।भाग( क)
एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में है जिसमें अभी तक आप लोगों ने बहुत सी चीजें पढ़ी और समझी होगीं, ठीक उसी तरह मैं आयुष वर्मा संवाददाता आपको इस गाथा में और आगे ले चलता हूं जहां अब हम लेखक श्री कृष्ण द्वारा रचित श्रृंखला में नायिका के उस गंभीर मनत्वय पर आधारित व्ख्या बयाना दर्ज करवाने की कृपा की विनम्र निवेदन से ग्रस्त इस गाथा के गाथावाचक से अनुरोध है कि हमें इस गाथा के उस मंजर ए स्वांग म्यान के उस आलम ए स्वांग से ग्रस्त होकर उस नायिका की उस डायरी जिसे रूबरू करवाएं जिसका विषय "वो एक अल्फाज़ ए मंजर था "जिसे लोग फिर इस नाम से जाना करते थे -"पांव के दाबे हुए छाले की बुनियाद एक अल्फाज़ ए म्यान में स्वांग बाजार !"में एक अल्फाज़ ए मंजर बताया गया था , ,जिसका नाम
"अल्फाज़ ए स्वांग बाजार की म्यान की उस लालटेन में ! ,🔴मैंने क्या क्या देखा ,🔴कहा कहां देखा 🔴कैसे से कैसे से देखा🔴 कब कब देखा🔴 किसके साथ देखा तथा 🔴किसके लिए देखा!
🔴 इस गाथा में लेखिका की प्रसिद्ध लोकोक्तियों में से किसी ने अपनी आसीमता व स्पष्टीकरण देने की खोज व आलेख तथा प्रस्तुति पेशकश की मांग की है।। जिसमें जिससे उस लोक्ति का नाम व ग्रन्थ का विषय भी प्रस्तुत होना चाहिए।।-🔴"ग्रन्थ -"मंजर ए स्वांग "-आलम ए स्वांग से _नायिका(गुनम्यादिनी चिड़िया) ने 🔴मंजर ए स्वांग की म्यान में वो एक अल्फाज़ ए 🔴स्वांग म्यान बाजार का आखिरी मंजर था जिसे लोग पांव में दाबे हुए छालों की बुनियाद उस एक
अल्फाज़ ए स्वांग की म्यान की उस लालटेन में
जैसे ही मैंने देखा तो पहले प्रशनवाचक नायिका लैसवी हैयास महालोक्तिका लेखिका ने उसमें कहां है कि स्लोगन तथा विषय बताते हैं कि इसमें इसके सफर का स्पष्टीकरण भी अवश्य ही करना ही होगा! तथा इसके गाथा के मध्य लेखिका नायिका की काल कोठरी में से जो साछय अंकित है उनकी भी प्रस्तुती अनिवार्य है।।
🌟👙बिगनी की आसीमता -यह गाथा की नायिका व लेखिका का वो साछ्य है जो वाकाई उस आखिरी आशिने ए बाजार के मंजर को बयां करती जिसमें बिगनी में भी उसकी आसीमता बयां करती है उन आशिने ए बाजार की उन किताबों की आसीमता कुछ कहीं ना उन आशिने ए हरम के उन स्वांग कारियों की छुअन से अपनी रूह ए जान को उस घड़े में निकालकर मुक्त कर दें मगर उन आशिने हरम के हमामियो ए हैवानों ये मंज़ूर नहीं था,ऐसे में लेखिका नायिका अपने आप हर दिन हर बार हर शख्स की जांघों में अपना मुंह फेरना ही पड़ता था और तो चाहे वो
रजुस्अल्लाह में भी होती तभी भी उन आशिने हरम की कलियों कि मंडी वो कलि का कलियौता जरूर लगवाता था और तब उन आशिने हरम और बाजार की उन हुस्न की मंडी की रंगीनी देखने वाली रहती थी।।
इस पर वह नायिका के लेखिका द्वारा बनाई
गाई श्रेणी में निम्नलिखित साछय व स्लोगन लिखे गए हैं जिन्हें वह लेखिका बताती हैं।।
लेखक -वासुदेव श्रीकृष्ण🪔
लेखिका लैसवी हैयास 👙
🔴👙-पहला साछ्य एक वैशया की उड़ान में।।
जब हर दिन हर शख्स के साथ सोने जाती थी तो उस शख्स की छुअन उसके जिस्म के साथ उसके अंग अंग में समा जाती थी उसके कपड़ों पर वो सफ़ेद दाग उस बदन की वो वीर्य की चिपचिपाहट तथा उसकी योनि से जो भी पर्दाथ बाहर निकल रहा होता उसके छींटों के दाग़ तथा उसकी योनि से रक्त भाव उसकी चूत गुलाबी से लाल पड़ जाना इन सबका जायजा उसकी बिगनी में से लिया जा सकता है।। इसलिए उसकी बिगनी की खोज व असीमता पर आधारित व्ख्या बयाना व उल्लेख उसकी आसीमता अर्थात आखिरी अल्फाज़ ए म्यान में आखिरी एकमात्र आखिरी विकल्प व मंजर बयां करता हुआ दिखाई देता है जिससे यह पता चला कि वह उसकी कोई जन्नत नहीं बल्कि सिर्फ एक असम्भव अल्फाज़ ए म्यान का वो आखिरी मंजर ए मुकाम ए स्वांग रचा गया इतिहास में पहली श्रेणी में रखा गया है।। इसलिए यह मुद्दा तो सत्य है कि उसके जीवन स्वरूप गाथा में उसकी यह रचना बिल्कुल असत्य जिसका विषय है अंकित
"एक वैशया की आसीमता व खोज में उसकी उड़ान का स्पष्टीकरण मांगा हुआ है जो कि"कुछ ना होते हुए भी बहुत कुछ है इसके तथ्य का यह तात्पर्या है कि "वह आशियाने ए म्यान के उस बाजार में वो"गुनम्यादिनी चिड़िया आखिर पांव में दाबे हुए छालों की बुनियाद ए मंजर का स्पष्टीकरण मांगा हुआ है।।

संदेशा 🖊️-जैसा कि आपने देखा कि वह गुनम्यादिनी चिड़िया का पहला साछ्य कैसे पहले ही नंबर पर उसके रक्त,व वीर्य तथा मल तथा उनके पसीने की बू बताती है कि उसे एक कागज़ ए स्वांग ने स्पष्टीकरण से ग्रस्त होकर रोगिन योनि चूंचियां चूत स्तन नाभि पर कैसे उस आशिने ए बाजार में स्वांग ए म्यान में कैसे उसे एकमात्र आखिरी मंजर ए म्यान का गुलाम घोषित कर उसी को सत्य से असत्य में प्रवेश व परिवर्तित कर उसे ही असत्य कारार कर दिया और ऐसे ही नहीं बल्कि नायिका वो वहीं न जो केवल गाथा ए स्वांग म्यान के संग्राम में खड़ी है।। हर गलि हर घर इस गाथा की नायिका की छवि उजागर होती ही रहती है जिसके कारण वह महालोक्तिका स्वागिंनी सिद्ध स्मारक गौ बनकर समस्त गाथामय को असत्य के चलते ही शून्य घोषित कर दिया करती जिसके चलते यह गाथा अनन्त व असंभव तथा संभव या अन्त दोनों ही कोस पर आधारित होकर उभरती है।।

जिसमें यह भी कहा गया कि नायिका नायक की आसीमता होकर प्रचलन में आती है जैसे इसका मतलब यह है कि नायिका एक वैशया थी मगर नायिका ने जैसे ही अपनी प्राण धातु का हस्तक्षेप किया वैसे ही उनकी प्राण धातु परमात्मा में विलीन हो जाती है जिसके चलते वह मिट्टी बचती जो कि कालचकृ कहीं जाती है
जो कि असत्य ए म्यान में स्वांग कहीं जाती है इसका मतलब यह है कि कालचकृ एक असम्भव प्रेम गाथा में असत्य है जिसके अंतर्गत प्राण धातु आती जो कि आत्मा है वहीं कालचकृ भी जो कि शून्य तो मगर उस कातिल हसीना के उस आशिने ए बाजार में "उस कालचकृ वी के चलते यह गाथा अनन्त व असंभव हो जाती है मगर उसी परमात्मा की आत्मा अर्थात परमात्मिका कर्मपोशित कर्मपोटली स्वागिंनी नपुंसकीय आहुतिका श्रापिका आदि घोषित सिद्ध सून्य कर इसे संभव व अन्त घोषित कर देती है।।
नायक -कालचकृ असत्य 🐦नीली चिड़िया।। असत्य+असतिव 🪔
नायिका _आत्मा +परमात्मिका गुनम्यादिनी चिड़िया 🕊️।। सत्य+आसीमता 🪔

जैसा कि आप जानते कि हिन्दी भाषा में एक मुहावरा है कि "एक हाथ से ताली नहीं बजती!

वैसे ही बिना अस्तित्व के आसीमता अधूरी है ठीक उसी तरह बिना योनि चूत के लन्ड से योनि बने बने चूत बनी नारित्व व स्त्रीत्व की आसीमता तथा उसी उत्पन हुआ अस्तित्व फिर कहीं असतिव की आसीमता इसलिए यह गाथा अनन्त है ना अनन्त ना असंभव ना संभव है यह गाथा एक संपन्न मजर प्रेम गाथा एक वैशया और एक अन्य की सम्पन्न प्रेम गाथा का आशियाने बाजार की उन गलियों में हर दरिका ने इसे संपन्न व सिद्ध घोषित कर दिया था।।
इस सम्पन्न गाथा ए स्वांग म्यान की बुनियाद में वह इस में अपनी लोक्तियो से ग्रस्त होकर रोगिन योनि में भृमण व प्रवेश कर वह अपने उस गाथा ए स्वांग म्यान बाजार की आसीमता व अस्तित्व को वह एक वैशया और और अन्य की आसीमता व अस्तित्व को एक नीली चिड़िया नपुंसकीय गुनम्यादिनी चिड़िया उस चीलिका से ग्रस्त होकर रोगिन योनि बनकर उस गुनम्यादिनी चिड़िया पिजरबध्द होकर उस एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त असंभव संपन्न गाथा ए स्वांग बाजार म्यान के उस आशिने हरम में भिजवा कर इस गाथा के मंच पर उनकी इस अनायास को एक संपन्न स्मारक घोषित कर दिया करता है।।

उसके बाद वह दूसरा साछ्य प्रस्तुत करते हुए इस गाथा ए स्वांग म्यान बाजार के इस मंजर और एक पद कदम आगे बढ़ते हुए -

🔴"एक अल्फाज़ ए बाजार स्वांग की गलियों में पहला स्लोक है एक वैशया की उड़ान -में वो पहला पन्ना की व्याख्या -जिसमे उससे उसके द्वारा उसके पहले ही साछ्य से अज्ञात करती है वो लेखिका ए नायिका -🔴अब सवाल यह कि नायिका के कपड़ों तथा लेखिका के संदेश जो कि नायिका द्वारा रचित श्रृंखला में बने हुए पत्र के रूपांतरण में प्रशनवाचक ने इस मंच से बरामद किया था।।👙 vs💌(प्रशनवाचक द्वारा सवाल अंकित किया गया है!)
उसके मैले बास मारते हुए कपड़ों में और उसके द्वारा किए गए पत्र के मध्य क्या संबंध है,
नायिका तथा लेखिका
शून्य कालचकृ असतिव
भाग-खंड।। मिटटी
प्रेम आत्मा आसीमता=आत्मा+परमात्मिका=परमात्मा 🪔।।
शून्य -स्वागं- आत्मा-परमात्मिका-परमात्मा- प्रेम-आसिमता-असतिव-कालचकृ-एक मिट्टी।।
"एक संपन्न गाथा ए स्वांग ए अनायास ए स्वांग के अस्तित्व की आसीमता की बुनियाद के अल्फाज़ ए स्वांग म्यान बाजार की वो बाजारू ए गुनम्यादिनी के दाबे हुए पांव में पड़े छालो की वो जंजीर।।
समाज ए नपुंसकीय आहुतिका महालोक्तिका स्वागिंनी सिद्धी।।
🔴 नायिका व लेखिका की वो सिद्धि की जंजीर की आसीमता का गद्य गठित श्रृंखला सारांश कोश की आसीमता व स्थापना तथा असतिव ए स्वांग म्यान बाजार की गलियों से ग्रस्त होकर रोगिन योनि का वो उसका संग्राम था -अस्तिव+
आसीमता कौन सर्वश्रेष्ठ सर्वोपरि सर्वोच्च सर्वप्रथम सर्वाउत्तम गाथायामि वेशयाणि का आशय स्पष्ट कीजिए....
स्पष्टीकरण....
योनि चूत चूची👅
लन्ड🍌
वीर्य 🕊️👙🪔। 💦 💋 मल 🐦🍌👅💋💦🖕
संभोग क्रिया यौन क्रिया 🙏🪔🕊️🐦💞💔🩸💕💞💐💖
🔴अस्तित्व =आसीमता+स्त्रीत्व+नारित्व=शून्य 🔴 एक संपन्न प्रेम गाथा।।
#ग्रन्थ_प्रस्तुति🙏🙏
#स्वागं_ए_अल्फाज_ए_मंजर_अपतिजनक🖕🍌👄👅💋🩸🐄🐦🕊️🦅🐺🐲