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अरावली की आत्मकथा
अरबों खरबों वर्ष पहले मेरा जन्म ज्वालामुखी फटने से हुआ था।साथ ही मेरा नाम अरावली रखा गया।मेरी लम्बाई गुजरात से दिल्ली तक है।मै राजस्थान के सिरोही जिले में सबसे अधिक लंबा हूं।मेरी उस चोटी का नाम गुरुशिखर है।मै राजस्थान को मध्य से दो भागो में बांटता हूं। मेरी श्र खला पूरे राजस्थान में पाई जाती है।मैंने राजस्थान की राजधानी जयपुर चारो ओर से घेर रखा है। जयपुर में गोद में बसा हुआ है।मै मरुस्थल व हरे भरे क्षेत्र को अलग करता हूं।
मैंने अपने अंदर कई खनिज भर रखे हैं।मुझे राजस्थान का गौरव कहा जाता है।मै विश्व की प्राचीनतम पर्वतमाला हूं।मेरी गोद में राजस्थान के कई जिले बसे हुए हैं। जैसे बांसवाड़ा डूंगरपुर इत्यादि।मै बचपन से राजस्थान को देख रहा हूं।मेरे कारण राजस्थान खनिज के मामले में भारत में द्वितीय स्थान पर है।
मुझ से राजस्थान कि कई नदियां बहती है। जैसे लूणी नदी,बनास नदी,बाणगंगा नदी,जवाई नदी और भी बहुत नदियां बहती है मुझ से ,पर मै किस किस के नाम बताऊ । बाकी आप लोग जानते ही हो।
मेरी गोद में राजस्थान के कई अभ्यारण है।

जैसे जैसे समय निकला मै भी बड़ा हुआ और बहुत कुछ सीखा और देखा।आज मै कई वर्षों का हो गया था। पर फिर भी मुझे में और जीने की इच्छा है। मै खुद को अब भी जवान मानता हूं।किन्तु आप लोगो ने मुझे बूढ़ा कर दिया है।मुझे पर कई दर्शनीय स्थल है। मुझ पर ही राजस्थान का सबसे अधिक ठंडा स्थान है।
मुझ पर कई राजाओं ने महल बनवाएं ओर मेरी सुन्दरता को बढ़ा दिया।मैंने राजस्थान को बसते हुए देखा है।मैंने इसे जीते हुए देखा है।पहले यहां पर बहुत कम लोग रहते थे।अब यहां पर बहुत लोग रहते हैं।मैंने राजस्थान में अनेक आपदाएं देखी है ।मै ही वो बंदा था जो हर वक्त राजस्थान और इसके निवासियों के साथ खड़ा रहा।

मेरी गोद में कई जंगल हैं और इससे पहले यहां ओर भी ज्यादा थे ।पर जैसे जैसे तुम लोग बढ़े ,तुमने जंगलों को साफ करना शुरू कर दिया और तो और तुम लोग अब भी नहीं में रहे हो। दिन प्रतिदिन तुम लोग जंगल को काट रहे हो और मुझे दुख दे रहे हों । ये जंगल मेरी संताने है और जब तुम इनको काटते हो तब मुझे बहुत गुस्सा आता है।

फिर भी क्या करू तुम भी तो मेरी संतान के समान हो । इसलिए मजबुर हूं । इन जंगलों में मैंने तुम्हारे लिए कई प्रकार के पेड़ लगाए हैं।
मैंने मेरे जीवन कल में अनेक राजाओं को देखा है। कोई कायर थे कोई बहुत वीर थे।मेरी नजरो के आगे कई राजा बने और बिखरे । कई युद्ध हुए।कई सैनिक शहीद हुए। कई महान व्यक्तियों ने देश और गायो के लिए अपनी जान तक की परवाह नहीं की और शहीद हो गए।
कई तो जानता कि सेवा के लिए लोकदेवता बन गए।मैंने कई वीरो के साथ कई वीरांगनाएं भी देखी है। जो देश के लिए मर मिटने के लिए तैयार खड़ी रहती थी।इनके साथ ही मैंने कई धोखेबाजों को भी देखा है ,तो कई ईमानदारी का भी देखा है। यहां कई भामाशाह भी हुए जिन्होने अपना सब कुछ देश को से दिया।
पहले जहां राजा बनते थे वहां अब मुख्यमंत्री बनते हैं।जैसे उन महान लोगों ने बलिदान दिया है और था,वैसे मैंने भी मात्रभूमि के लिए कई बलिदान दिए है।कई नदियां बहा दी। कईयों को बहने मै मदद की है।कई झरने नले तालाब मेरी गोद में खेलते हैं।इनसे मैंने मेरे देश की प्यास बुझाई।कई ओषधियां उपलब्ध कराई।देश को जीवित रखने के लिए पेड़ उगाए जिनसे तुम लोग प्राणवायु प्राप्त करते हो।
इतना कुछ करने के बाद भी तुम मुझे जीने नहीं से रहे हो।तुम मुझे दिन ब दिन तड़पा तड़पा कर मार रहे हो।तुम मेरी जड़ों को खोखला कर रहे हों।मेरी प्रार्थना है कि तुम लोग मुझे मत मारो। मै ओर जीना चाहता हूं।मै तुम्हारे काम आऊंगा।मुझे देश की ओर सेवा करना चाहता हूं।
© रूप(R.G.H.)