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चिट्ठी के पीछे का राज
#चिट्ठी
लाइब्रेरी में बैठी हुई निकिता क़िताब के पन्ने पलट रही थी और बेसब्री से सुप्रिया का इंतज़ार कर रही थी। जब से सुप्रिया का कॉल आया था और उसने उसे लाइब्रेरी बुलाया था ये कह के की उसको उस चिट्ठी के बारे में कुछ पता चला है, तब से निकिता बेचैन थी।

जैसे ही वो लाइब्रेरी में आई उसको देख कर खुश होने को बजाए घबराया हुआ चेहरा देख कर वो और डर गए जिससे उसको और बेचैनी हो गई
सुप्रिया उसका चेहरा देख कर उसको समझ आ गया था कुछ तो है जो उसको उस हॉस्टल में लड़की के बारे में है जो रात उन दोनों को दिखाई दिया था। जिससे दोनों की हालत सोच सोच कर बेकार हो चुकी थी।

लाइब्रेरी का भी बंद होने का समय हो गया था शाम हो चुकी थी वह दोनों साथ में बैठने की बजाए बाहर जाने के फैसला किया सुप्रिया ने बोला कही काफी शॉप चलते है मुझे यहां ठीक नहीं लग रहा है वैसे भी लाइब्रेरी बंद होने के समय हो गया है निकिता ने बोला मौकों बताओ तो सही उस चिट्ठी में क्या लिखा है उसने बोला पहले तुम चलो फिर में बताती हु।

जैसे ही काफी शॉप के लिए निकलने लगे चेकआउट के लिए लाइब्रेरियन के पास जाने लगे देखा कि वो वहां पर नहीं है उन दोनों को एहसास हुआ कोई उनको देख रहा है छुपकर उनको आहट से हुई दोनों ने हिम्मत से जहां किताबें पड़ी होती है वहां जाकर देखने की हिम्मत की वहां उनको कुछ नहीं दिखा धीरे धीरे अंधेरा हो चुका था और उन दोनों की हालत और खराब होती जा...