...

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डियर पापा..
#मेरे पापा
कभी डाँटा ही नहीं
और मारना तो ख़ैर
उनकी डिक्शनेरी में ही नहीं
पर मान लो अगर थोड़ा ग़ुस्सा हुए
मतलब बातों में थोड़ी असहमति जतायी
तो एक इशारा ही उनका काफ़ी है
हमें ये बताने के लिए
की पापा नाराज़ हों गए
और ये हम कभी चाहते नहीं
दुनिया की भीड़ से बिलकुल अलग
थोथी प्रलाप से बिल्कुल इतर
सबको अच्छा कहने वाले
सबकी भली चाहने वाले
हमें कभी न रुलाने वाले
हमेशा अपना कर्त्तव्य निभाने वाले
पर हक़ कभी भी जताते नहीं
इंटरनेट क्रान्ति से बने नौसिखिए नहीं
हमेशा से बराबरी की बात करने वाले
ना कभी कोई फ़र्क़ किया
ना हीं फ़र्क़ सिखाने वाले
इतना ज़्यादा जो प्यार किया
इक अव्वल पैमाना निर्दिष्ट किया
अब कौन बराबरी करे आपकी
हीरो हमारा आपमें हमें मिल गया
बस इतनी है जुस्तजू अब
कुछ भी ऐसा कर जाए
ख़ुश रहें आप नाराज़ कभी
भी होना नहीं





© Ritu Verma ‘ऋतु’