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मेरी कहानी

© प्रियंका और तमाम लोगों की कविता।

आज एक शाम आधी रात का संवाद है,
रास्ते में प्रियंका चलती सीधे सीधे,
गड़बड़ी रास्ते उबर खाबड़ रास्ते से निकलती चली,
गड्ढों से मुश्किल से बचकर सावधान हेतु चली,
मगर बीच में गड्ढा और बड़ा गड्ढा था,
वहां एक आदमी भी चला और बिना डर कर उलांघ कर गड्ढा कर पार, चला गया।
ऐसे में वहां एक छोटे बच्चे गुजरे जो पांचवी कक्षा से संभवत होंगे, उन्होंने गड्ढा आसानी से क्षण में पार किया।

यह देख प्रियंका हैरान, कैसे? कैसे वहां लोगों ने आसानी से गढ्ढा पार किया,
प्रियंका डर के मारे गड्ढा पार नहीं कर सकी और अगर हिम्मत जुटाई तो फिसलने लगी और मन में भय उत्पन्न हुआ की कहीं गड्डे की खाई में गिर न जाए।

ऐसे में तमाम लोग गड्ढा पार कर रहे और प्रियंका ने रास्ता बदला और किसी और रास्ते से जाने का मन तैयार किया, और सोचती रही, कैसे वही एक प्रियंका इतना छोटा सा काम न कर सकी। लानत हैं।
मगर, ( सोचते सोचते) उसे एक बार समझ आई,
की वो खुद एक अलग और खास लड़की है और उसका दिमाग इतना ही खास है, जितना परियों का होता है।

जब परियां स्वर्ग से, धरती पर पहली बार कदम रखती हैं तो वे भी इसी दुनिया से अनजान होती, क्योंकि वह इस दुनिया की नहीं होती, तो वह आम इंसानों वाले काम करने में असमर्थ होती है। परियां पृथ्वी पर मूर्ख कहलाती हैं क्योंकि वह पृथ्वी से अनजान होती है, ऐसे में सामान्य इंसानी दिमाग न होने अथवा साधारण कर्म करने में असहज महसूस करने से, जनता और समाज उन्हें कमजोर समझता है मगर उनका ऐसे भय होने का एक खूबसूरत अर्थ यहां भी प्रकट होता है की वह परियां, दुनिया से परे हैं और उन्हें स्वर्गीय कर्म में हौसला मिलता है, वह पृथ्वी कर्म से अनजान है।

जब लड़की ने यह बात समझाई, खुद को समझाने के बाद प्रसन्नता से उल्लास करने लगी और खुद से प्रेम करने लगी ये समझते हुए की वो बाकी इंसानों से बहुत खास हैं, वे बहुतों से खास हैं।

ये कहनी यही उल्लेख देती है,
आप जैसे हो, खुद को समझो, खुद से प्रेम करो, परमात्मा ने सभी को खास बनाया है। Rights Reserved