...

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माँ की ममता
इस दुनिया में मांँ के बराबर कोई नहीं,जब से होश सँभाला हैं
देखा बस माँ का प्यार और दुलार,

अगर कोई काम गलत करती तो फिर थोड़ी देर में सब भूल कर प्यार से गले लगा के,माँ मेरे को समझाती,कि ऐसे नहीं ऐसे होता है।
यदी घर आने में कालेज से थोड़ी सी देर,
तो मांँ भोली सी सूरत लेकर मेरा इंतजार करती।
जब तक मेरे को ना खिला दे, खुद भी कूछ नही खाती।
माँ की बात मान लिया करो,माँ के बराबर कोई नहीं !
बेटे की हर इच्छा पुरी करती,माँ पिता को मनाती तो,कभी ईश्वर से प्रार्थना करती,जिन बेटो को देख -देख खुश होती।उन्हें ही फूटी आख ना सुहाती।
माँ पड़ी बिमार हुई तो बेटे ने देखा तक नहीं।
बेटे के बिमार होने से दिन -रात क्या -क्या नहीं करती,सारी रात सेवा करके आँखो में गुजारी।
आज माँ रहती बेटे और बहु संग तो आँख दिखा देते दोनों इतनी सेवा के बाद भी नहीं किया सम्मान उनका, माँ का
आज नही तो कल पछताओगे, क्योंकि माँ के बराबर कोई नहीं। माँ ही पुजा माँ ही सारा संसार और माँ से ही परिवार है। स्वचलित -अजूं सिंह भजनपुरा दिल्ली