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सर्दी आई मां की यादें लाई
मां मां बहुत ठंड लग रही है। स्वेटर और टोपी निकाल दो आलमारी से, मौजें दास्ताना और वो ऊन वाला पजामा जो नानी ने मेरे लिए भेजा था ।वह भी निकाल देना....!!
शशि की बातें सुनकर मैं आलमारी से ऊनी कपड़े निकालने चली गई। जैसे ही मैंने आलमीरा खोला सामने ही मां की बनाई हुई ढेरों साल स्वेटर दास्ताना मोज़े और ऊन वाला पजामा भी रखा था।जिसे देखते ही एक साथ मेरे जेहन में हजारों यादें करवट लेने लगी और मैं खो गई अतीत की यादों में! और गोते लगाने लगी मैं अपने
बचपन में..!!
उन दिनों हमारे यहां हाथ से की गई सिलाई कढ़ाई और बुनाई खूब प्रचलन में हुआ करती थी और मेरी मां इन सभी कलाओं में निपुण थी।साक्षात लक्ष्मी का रुप...!!
मैं जब भी कोई स्वेटर पहन कर अपने स्कूल...