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एक धनी व्यक्ति
एक शहर में एक धनी व्यक्ति था बहुत बड़ा व्यापार था उसकी ज़िन्दगी में हर प्रकार का सुख था हर प्रकार का वैभव था लेकिन एक दिन उसकी जिंदगी में ऐसा वक्त आया। उसे व्यापार में बहुत बड़ा घाटा पड़ा। उसकी सारी संपत्ति बिक गई। जो भी उसने ज़िन्दगी भर मेहनत करके कमाया था वो सब कुछ खत्म हो गया। ऐसे हालातों में वो इतना टूट गया उसने मन में सोचा कि ऐसी ज़िन्दगी से तो बेहतर है मैं आत्महत्या कर लूं खुद को ही खत्म कर दूं। मन में ऐसा सोच कर के वो अपने नगर के बाहर एक पहाड़ी की चोटी से कूदने के लिए गया। जब वो उस पहाड़ी की चोटी से कूदने वाला था तो वहां पर एक महात्मा बैठे थे।उन्होंने उससे पूछा कि तुम यहां से क्यों कूदना चाहते हो। उस व्यक्ति ने कहा एक समय था जब मैं बहुत धनी व्यक्ति था लेकिन ज़िन्दगी ने ऐसा खेल खेला है मेरे साथ मेरा सब कुछ मुझसे छीन लिया। आज मेरे पास कुछ भी नहीं है और ऐसी ज़िन्दगी को जीकर मैं क्या करूंगा। इससे तो अच्छा है मैं अपने आप को ही खत्म कर दूं तो महात्मा ने उस व्यक्ति से कहा कि तूने धन को खोया है अपने आपको नहीं खोया। पैसा कमाने का हुनर तुझमें कल भी था और आज भी है ये वक्त कभी एक जैसा नहीं रहता। कल अच्छा था आज मुश्किल है और विश्वास रखना कल फिर वही अच्छा वक्त तुम्हारी ज़िन्दगी में जरूर आएगा। आज मुश्किल है कल अच्छा आएगा।

अरे वक्त तो है बदल ही जाएगा उम्मीद मुश्किल वक्त का सबसे बड़ा सहारा है और अगर आपमें हौसला है तो हर तूफान में भी किनारा है ये मुश्किल वक्त तुझे तोड़ने के लिये नहीं आया है ये तुझे और भी बेहतर बनाने के लिए आया है। यह तेरी हिम्मत और तेरे हुनर का इंतज़ाम लेने आया है तो तू हिम्मत मत हार और अपने घर वापस जा। और पहले की तरह मेहनत करके जो कुछ भी तेरे पास था उसे वापस हासिल कर उस महात्मा की ऐसी बातों को सुनकर उस व्यक्ति के अन्दर एक नया जोश आ गया कि ये सही कह रहे हैं धन ही खत्म हुआ है मैं खतम नहीं हुआ हूं। क्या मेरी ज़िन्दगी मेरी पहचान सिर्फ धन से ही है।

धन मेरी वजह से था। मैं धन की वजह से नहीं हूं और मैं चाहूं तो फिर से वापस धन कमा सकता हूं। वो व्यक्ति वापस नगर में आया और महात्मा की सारी बातें मानकर उसने मेहनत करना शुरू किया और वापस एक धनवान व्यक्ति हो गया।