एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में।।93
यह रचना लेखिका की मां पर आधारित है जिसका विषय गोखिका बनी सौदामिनी बताया गया कि लेखक द्वारा।। जिसमें गाथा एक बाबू की आखिरी इच्छा पूरी ना करने देने का सारा श्रेय लेखिका की मां को जाता, क्योंकि कहानी के नायिका के पिता जी मृत्यु सांस ना आने के कारण वर्ष हुई , मगर वह अपने बच्चों को एक बड़ा आदमी बनते देखना चाहते थे जो कि उनकी दुर्भाग्य वर्ष स्वर्गवासी होने के कारण अधूरी रह जाती है, क्योंकि एक गोखिका बनी सौदामिनी के चलते एक पिता के आत्मसम्मान जो कि बेटी एकमात्र आखरी इच्छा थी, वह भी
उस कुभागिन के कारण अधूरी रह गई थी।।
मगर जब कुछ समय बाद बुढिया की भी अकाल मृत्यु हो गई तो नायिका एक सौदामिनी के पांव के नीचे से उठकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर मनत्व बनाती है।। जिसके कारण वह एक गोखिका बनी सौदामिनी से छूटकर अपने पिता जी का सम्मान को अपनी एकमात्र आखिरी इच्छा बना लेती।।
#आत्मसम्मान पिता स्वर्ग वासी🪔
#सौदामिन अकाल मृत्यु 🔥
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उस कुभागिन के कारण अधूरी रह गई थी।।
मगर जब कुछ समय बाद बुढिया की भी अकाल मृत्यु हो गई तो नायिका एक सौदामिनी के पांव के नीचे से उठकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर मनत्व बनाती है।। जिसके कारण वह एक गोखिका बनी सौदामिनी से छूटकर अपने पिता जी का सम्मान को अपनी एकमात्र आखिरी इच्छा बना लेती।।
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