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नन्हीं-नन्हीं बेलें
ये नन्हीं-नन्हीं बेलें, जब हो जाएगी कुछ समय में बड़ी, तो इन पर लगने लगेगें, छोटे-छोटे सफेद-गुलाबी फूल ! हालांकि सुगंधरहित पर रंगयुक्त, इससे भी महत्वपूर्ण है इनके पनपने का उत्साह और उगाने का प्रयास !!
यूं तो मुझे बागवानी का ज़रा भी अनुभव नहीं है पर हां मन ही मन शौक बहुत है । संभवतः यह बचपन में दादोसा को अपने उगाए नींबू-गूंदे आदि पौधों में पानी डालते देखने से ही पनपा है। उस समय आज की तरह गांव के घरों में नल नहीं हुआ करते थे, तब भी वे बाहर से पानी ला-लाकर उन नन्हें पौधों को पिलाया करते थे और साथ में मैं अपने छोटे पानी के बर्तनों को लिए उनके साथ-साथ चला करती थी और मेरी दादीसा हम दोनों को ही बस करने का कहते नहीं थकते थें। मुझे संतोष उनकी...