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ये रहीस लोग और हम

ये सच है कि ईश्वर हमें कर्म का किसी और का भागीदार नहीं बनाता! और फिर ये अपने कर्म का भाग्य दूसरे के साथ बंटना गलत है!हर बार की तरहआज भी मैं अपने दर्द के साथ भुखा घुम रहा हूँ! पर कहूँ किससे?सिर्फ मेरे खुदा से!बड़े बड़े बाबु आ रहे हैं मैं धैर्य रखे बैठा इंतजार में!दुनिया में सिर्फ पैसा ही दिखता है! ये सब मतलबी संसार क्यों ये तो मालूम नहीं!लेकिन तुमें ये सच्चाई बता दूँ तुम आज सुख चाहते हो! पर कल को दुख को सहन कर लेना भी सीख लेना! कभी मेरे पिता पर पैसे की बुराई देख लांछन लगाते हैं! लेकिन कभी जाके तो देखो कि कहीं दो रोटी मिर्च से मन बहला कर पेट तो नहीं भर रहे!
इसलिए इन लोगों पर मुझे हंसी आती है कि कैसे लोग है! 😪😪😪😭😭😭
-लेखक: जितेन्द्र कुमार'सरकार'