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बारिश...
#रॉन्गनंबर
बड़ी ज़ोर की बारिश हो रही थी। आसमान में बिजली कड़कड़ा रही थी पर घर पर बिजली गुल थी। तभी फोन की घंटी बजी और जीत ने रिसीवर उठा के कहा हैलो, कौन है? उधर से आवाज़ आई ओह, सॉरी, रॉन्ग नंबर, और फोन रख दिया गया। जीत को दो साल पहले की वो तूफानी रात याद आ गई। उस दिन भी तो...
बारिश ने उसका सब कुछ छीन लिया था।उसका प्रेम माधवी उसी दिन वो किसी और का कर्तव्य बन के घर से विदा हो रही थी।बारिश में भीगते जीत की आंखों के आंसू हर किसी को पानी की बूंद प्रतीत हो रहे थे।
माधवी और जीत एक ही परिवार के हिस्से थे।माधवी के पिता और जीत के पिता मित्र थे इसलिए बचपन से माधवी और जीत में भी घनिष्ट मित्रता रही।फिर यौवन ने दोनों को प्रेम की रंगोली में भिगो दिया।
जीत अपनी सीमाएं जनता था माधवी के कितने प्रयत्न के बाद भी वो उस पिता और चाचा की मित्र सीमा को लांघने में असमर्थ रहा था। उनके विश्वास को वो कैसे टूटने देता।एक एक कर के उसके...