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मजबूरी Part 8
आज गजरा की आंखों में ख़ुशी के आंसू थे,
अब गजरा की आंखें सिर्फ भाई का रास्ता देख रही थी,
आज वो दिन आ ही गया,
गगन घर वापस आ गया,
गजरा सोचने लगी आज भाई के पसंद का खाना बनाती हूं,
गजरा खाना बनाने की तैयारी कर रही थी,
तभी गजरा को चक्कर आ गया,
गजरा गिर पड़ी,
गगन ने गजरा को उठाया,
हॉस्पिटल ले गया,
हॉस्पिटल में पता चला कि गजरा को कैंसर है,
गगन रोने लगा और बोला कि दीदी आप मुझे इतनी बड़ी बात क्यों नहीं बतायी,
दीदी आपको यह बात नहीं छुपानी थी,
गगन गजरा को पकड़कर रोने लगा,
और बोला मैं आपको कुछ नहीं होने दूंगा,
गगन बोला मैं आपका इलाज करवाने के लिए आपको शहर ले जाऊंगा,
अब गगन को सारी बात पता चल गई,
चाय की दुकान बहुत पहले ही बंद हो चुकी थी,
गजरा की तबीयत खराब रहती है,
आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी है,
गगन बहुत परेशान था,
गगन सोचने लगा मेरी दीदी अकेले सब कुछ सहन कर रही थी और कभी कुछ नहीं बतायी,
गगन गजरा का बहुत ध्यान रखने लगा,
इधर गाॅंव में लाला जी के बेटे की शादी थी,
लाला जी ने गजरा और गगन को शादी पर बुलाया,
गजरा और गगन बहुत दिनों के बाद गाॅंव में गये,
शादी बहुत धूमधाम से हुयी,
गजरा की काकी से भी मुलाकात हुयी,
काकी बताने लगी कि रोहन की वजह से आज हमारे पास कुछ भी नहीं है,
रोहन ने जुए के चक्कर में सब कुछ बर्बाद कर दिया,
आज हमारे पास सिर्फ यही एक घर बचा है,
रोहन को शराब पीने की लत लग गई थी,
शराब के ठेके पर रोहन बिना पैसे दिए बहुत शराब पी चुका था,
पैसा नहीं दे पाया था,
जिसकी वजह से शराब के ठेकेदार ने खेत ले लिया,
यह सब कहते - कहते काकी रोने लगी,
काकी कहने लगी मैं अपने गहने बेचकर पैसे दे दी , लेकिन तब भी ठेकेदार खेत वापस नहीं कर रहा है,
गगन बोला कि कानून दिलाएगा आपको आपका खेत,
तब काकी बोली कि एक वकील से बात हुई थी,
लेकिन ठेकेदार ने पैसा देकर उसे भी खरीद लिया
अब कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है,
तब गजरा बोली आपका खेत मेरा बैरिस्टर दिलाएगा,
गगन बोला मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा,
मैं वह दिन नहीं भूल सकता जब गाॅंव में आपकी बेइज्जती हुई थी,
गजरा बोली मैं तुझे पढ़ा- लिखा कर इस काबिल बनाई हूं कि तू दूसरों की मदद कर,
आज काकी को तेरी जरूरत है,
पैसा लेने के बाद भी ठेकेदार खेत वापस नहीं कर रहा है तो इसमें काकी की क्या गलती है,
अब तुझे बैरिस्टर का फर्ज निभाना होगा,
गगन बोला और आपकी क्या गलती थी जब आपकी बेइज्जती हो रही थी,
सब कुछ काकी की वजह से हुआ था मैं कभी नहीं भूल सकता,
गजरा के समझाने पर गगन मान गया,
गगन काकी के खेत का मुकदमा जीत गया,
काकी को खेत वापस मिल गया,
आज काकी बहुत शर्मिंदा थी अपने किए हुए कर्मों पर,
आज काकी हाथ जोड़कर पूरे गाॅंव के सामने माफी मांगी,
और सभी लोगों से बताई कि सिर्फ मेरी गलती थी गजरा की कोई गलती नहीं थी यह तो हमेशा पवित्र थी और आज भी पवित्र है,
लाला जी बोले गजरा तू यहीं पर रहेगी इसी गाॅंव में,
गजरा बोली मेरे पास अब क्या है यहां मेरा कुछ भी नहीं है घर तक नहीं है,
तब लाला जी बोले कि तेरा घर मेरे पास है,
उस समय मुझे तेरा घर और तेरे खेत को बचाना था इसलिए मैं तुझे पैसा दिया था कि तू यहां से दूर अपने भाई को लेकर चली जा, और अच्छे से इसे पढ़ा- लिखा कर एक अच्छा इंसान बना दे,
मुझे तो अपने दोस्त के घर को बचाना था और उसके खेत को,
लाला जी ने गजरा को बताया,
उसके पिताजी लाला के बहुत अच्छे दोस्त थे,
लाला जी बोले जब तू गाॅंव छोड़ कर जा रही थी,
मैं तुझे रोकना चाहता था लेकिन पूरा गाॅंव उस समय तेरा खिलाफत कर रहा था,
इसलिए मुझे उस समय जो उचित लगा मैं वही किया,
लालाजी बोले मैं वह दिन कभी नहीं भूल सकता,
जब मेरे पास खाने के लिए रोटी नहीं थी पहनने के लिए कपड़े नहीं थे,
तब तुम्हारे पिताजी मुझे सहारा दिए थे,
आज जो कुछ भी हूं तुम्हारे पिताजी की वजह से हूं,
ये सभी लोग भूल गए लेकिन मुझे याद है,
गाॅंव में सिंचाई की कितनी बड़ी समस्या थी,
तुम्हारे पिताजी ने कितनी मेहनत करके गाॅंव में
सिंचाई करने के लिए मशीन लगवाया था,
मैं कुछ भी नहीं भूला हूं,
और तुम दोनों भाई बहन से मेरी यही विनती है कि अब इस गाॅंव में ठहर जाओ,
गजरा मान गयी,
गजरा और गगन दोनों अपने घर में रहने लगे,
एक दिन लालाजी गजरा के घर आए,
गजरा से बोले कि गगन की शादी के बारे में कभी सोचा है तुमने,
गजरा बोली हां सोचती हूं और शादी भी करूंगी अपने भाई की बड़े धूमधाम से,
लेकिन दो दिन के बाद मुझे शहर जाना है,
कैंसर का इलाज करवाने,
लाला जी बोले ठीक है आप जाइए,
2 दिन के बाद गजरा और गगन शहर चले गए,
जब गजरा शहर जा रही थी तो लालाजी ने एक पत्र दिया था और कहा था कि वहां पर पहुंचकर आराम से पढ़ना,
गजरा और गगन शहर पहुंच गए,
गजरा गगन से बोली पत्र देखो क्या लिखा है,
लालाजी ने पत्र में लिखा था अगर आपको कोई परेशानी ना हो तो मैं अपनी पुत्री का विवाह गगन से करना चाहता हूं,
गजरा बोली गगन तुम क्या कहते हो,
गगन बोला जो आप चाहो दीदी बस वही होगा,
8 दिन के बाद गजरा का ऑपरेशन था,
गजरा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था,
कि ऑपरेशन के बाद क्या होगा,
गजरा बोली पता नहीं क्या होगा,
गगन तुम गाॅंव से लाला जी को बुला लो,
गगन ने लाला जी को बुला लिया,
गजरा का ऑपरेशन हुआ,
ऑपरेशन सफल रहा,
गजरा गगन और लाला जी गाॅंव वापस आ गए,
कुछ दिनों के बाद गगन की धूमधाम से शादी हुई,
आज गजरा और गगन की जिंदगी में बहुत सारी खुशियां थी।
समाप्त।