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#नकारात्मक से सकारात्मक
एक इन्सान हमेशा नकारात्मक सोचता था। उसने एक लड़के से कहा- क्या लिखते हो? धन्यवाद, धन्यवाद साहब। तुम कैसे लिख लेते हो? बस आप की कृपा है हूजूर। वह थोड़ा आगे बढ़ा और मन में सोचा सारी बातें मैंने नकारात्मक ढ़ंग से बोली फिर भी इसे बुरा नहीं लगा। वह पीछे मुड़ा और कहा लगे रहो सफलता तुम्हारे कदम चूँमेगीं। वह उस दिन से सकारात्मक सोचने लगा।
© Utsav Gupta (Mona)