...

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maa sabse alag hoti hai
मां एक फरिश्ता होती है
वो भी हंसती है
वो भी रोती है
उसकी खुशी मेरी खुशी से होती है
गम उसे भी है बस वो छिपा लेती है
मेरे दर्द को वो अपना बना लेती है
हां वो भी हंसती है वो भी रोती है
उसके होने से सब आसान लगता है
ठोकर कितनी भी लगी हो
उसके हाथ के स्पर्श से सब ठीक हो जाता है
उसकी रोटी आधी तो मेरी पूरी हो जाती है
उसे भूख हो तो वो अपने दर्द पी जाती है
ना जाने सब कैसे कर लेती है
मेरे अंधेरे का वही स्वेरा होती है
हा वो भी हंसती है
वो भी रोती है
मेरी खुशी में उसकी खुशी
और दर्द को वो अपने छिपा लेती है
ममता का रूप मां का स्वरूप
कहानियों से ज्यादा किस्से उनके मेरे पास
उनकी लोरियो से बड़ी कोई स्टोरी नही
मां हंसती है मेरे आगे रोती नहीं

© मारवाड़ी