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नींद प्रसन्नता और राजयोग
*त्रिआयामी जीवन ऊर्जा का संतुलित स्वरूप - गहरी नींद, प्रसन्नता और राजयोग*

हम प्रकृति में हैं और प्रकृति हममें है। हम प्रकृति के महासागर में जी रहे हैं। हमारे चारों ओर अदृश्य प्राकृतिक ऊर्जा का महासागर निरंतर लहरा रहा है। हमारा जीवन प्रकृति से ओत प्रोत है। बहुत गहरे में समझने की बात यह है कि यदि हमारी प्राकृतिक ऊर्जा संतुलित है तो हम संतुलित हैं। यदि हम संतुलित हैं तो जीवन में प्रसन्नता की स्थिति स्वाभाविक बनती है। हमारी प्रसन्नता का हमारी तन और मन की संतुलित ऊर्जा से सीधा और गहरा संबंध है। इस संतुलित ऊर्जा का सीधा सम्बन्ध विचारों के आहार और भोजन के आहार से होता है। तन और मन की ऊर्जा प्राकृतिक ऊर्जा है। यह ऊर्जा फिजिकल और साइकोलॉजिकल ऊर्जा का एक जटिल सम्मिश्रित रूप होती है। जीवन में रहते हुए जब ये काम करती हैं तब ये इकट्ठी एकसाथ ही काम करती हैं। प्राकृतिक ऊर्जा का संतुलन हमारे सुखद जीवन का प्रमुख पैमाना होता है। यह प्रमुख पैमाना दोनों तरीके से बढ़ता या घटता है अर्थात् संतुलित या असंतुलित होता है। एक - मन के सकारात्मक श्रेष्ठ या नकारात्मक विचारों के द्वारा बढ़ता या घटता है। दूसरा - एक निश्चित किस्म की निश्चित अनुपात में सात्विक या राजसिक या तामसिक शारीरिक ऊर्जा अर्थात् बायो विद्युत (वाइटल फोर्स) के द्वारा बढ़ता या घटता है।

जीवन के इसी संदर्भ में जीवन में गहरी नींद, प्रसन्नता और राजयोग इन तीनों चीजों का संतुलित होना बेहद जरूरी होता है। इन तीनों की संतुलित और स्वाभाविक तारतम्यता का होना ही जीवन में आनन्द अहोभाव की स्थिति का होना है। अनेकों वैज्ञानिक प्रयोगों के द्वारा यह प्रमाणित हो चुका है कि यदि इन तीनों चीजों में से एक भी कम होता है अर्थात् असंतुलित होता है तो जीवन की स्वाभाविक अनुभूतियों में कमी होगी ही होगी। वह अलग बात है कि यह अनुभूति इस बात पर निर्भर करती है कि मनुष्य उन अनुभूतियों के प्रति कम संवेदनशील है या ज्यादा संवेदनशील है। राजयोग की अनुभूति होने का सीधा सम्बन्ध आध्यात्मिक ऊर्जा की प्राप्ति से है। अध्यात्मिक ऊर्जा जितनी ज्यादा होगी या जागृत होगी उतना ही आत्मिक समृद्धि बढ़ेगी। अध्यात्मिक ऊर्जा चूंकि केंद्रीय ऊर्जा है। इसका असर सभी दिशाओं में फैलता है। संक्षिप्त यही है कि इन तीनों प्रकार की ऊर्जा से भरपूर होना ही जीवन के सभी प्रकार के उद्देश्यों में से यह पहला उद्देश्य होना चाहिए। क्योंकि यही जीवन विकास की धुरी है जिसमें जीवन का व्यक्तित्व और चरित्र निर्मित होता है।🙏👍👌✋