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one thought and one letter for......
अपने मां बाप कि तकीलफे तो हर कोई समझ लेता हैं.. उनका गुस्सा, उनके बेतुकी बातें सब सहन कर लेते हैं उनके अंदर बदलाव को उम्र के चलते सब अपना लेते हैं.. फिर क्यों तुम जहां तुम्हे अपना सारा जीवन जिनके बीच रह कर व्यतीत करना हैं क्यों तुम उनकी तकलीफें उनका दर्द उनके बढ़ती उम्र में बढ़ते हुए बदलाव को समझ नहीं सकते क्यों अपना नहीं सकते। सच हैं ये जिनको परिवार अच्छा मिला वो उनको अपना ना सका पूरी तरह जिनको परिवार अच्छा ना मिला उसने जोड़ के रख लिए हर रिश्ते को फर्क थोड़ा सा है लेकिन सोचना इस बारे में तो बहुत तकलीफ दे हैं। एक सेवा का भाव और प्यार से हर रिश्ते को संभाल लेना ये हर किसी को सीखाना चाहिए। सिखाना चाहिए कि किसी बड़ो कि इज्जत करे दिल से।...