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इंसाफ
हमारे यहां एक कहावत है कि अगर ताकतवर का कुता मर जाए तो सभ अफसोस करने आ जाते है, पर वही अगर गरीब की मां मर जाए तो भी कोई नही पूछता।

यह बात मैने बचपन मैं ही सीख ली थी। में अमित रावत आज आपको उस दुनिया के बारे मैं बताना चाहता हु। जहा जिंदा रहने के लिए ही नहीं बल्कि मरने के लिए भी पैसा चाहिए।बचपन मैं ही मां मर गई, पैसे न होने के कारण उनकी लाश का अंतिम संस्कार भी ठीक ढंग से ना कर पाया। मेरे पिता एक छोटे मोटे चोर है। यूंही चोटी मोटी चोरिया करके वह परिवार का खर्चा चलते थे।

जब भी पुलिस के सायरन की आवाज आती मानो सारी बस्ती मैं सन्नाटा छा जाता था। जो पैसे पापा और उनके साथी चोरी करके लाते वो पुलिस वाले हफ्ते और रिशवत के हवाले से लें जाते और कोई कुछ ना कर पाता।और तो और जब किसी केस को बंद करना होता तो हमारी बस्ती मैं से किसी के उपर इल्जाम डाल कर उसको जेल भेज देते। जिसके बदले मैं इनको बहुत मोटी रकम मिलती।उस दिन मैंने भी सोच लिया की मैं भी बड़ा होकर पुलिस वाला ही बनूगा।

कैसे न कैसे करके मैंने अपने बापू को माना लिया और सरकारी स्कूल मैं दाखिला ले लिया । मेहनत करके के पढ़ा और एक सब इंस्पेक्टर बन गया। यह बात जब बस्ती मैं पता चली तो मानो बस्ती मैं तो खुशी की लहर ही शा गई। मेरा बापू तो बावला होगया और पूरी बस्ती मैं मिठाई बाटने लगा। सभी बस्ती वालो की आंखों मै जैसे एक उम्मीद सी थी उस दिन की शायद अब उनको भी इंसानों की तरह रहने दिया जायेगा। शायद अब उनके बच्चो की जिंदगी किसी झूठे केस मैं बरबाद नहीं होगी।

पुलिस बने हुए मुझे एक महीना हो गया। इस मै मुझे इतना तो समझ आ गया की जिस पद पर मैं हूं वहा तो मुझे कुछ मिलने वाला नही। जो भी माल़ आता था वो बड़े अफसर खुद ही खा जाते थे और हमे मिलता था तो वही बचा कूचा।

पर मैं ऐसे नही जीना चाहता था इस लिए मैंने धीरे धीरे बड़े ऑफिसर से जान पहचान बनानी शुरू कर दी। थोड़े ही समय मै मैने उनका भरोसा जीत लिया। और कम टाइम मैं ही मैने बहुत तरकी कर ली। अब मुझे किसी का डर नहीं था। बड़े बड़े पॉलिटीशियन के साथ मेरी बेथनी उठनी हो गई। सभ कुछ ठीक चल रहा था।

पर कहते है ना समय रहते संभल जाना चाहिए नही तो समय संभाल लेता है। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। जो आग मैं दूसरो के घरों को लगा रहा था। बड़े आदमियों को बचाने के लिए मैंने न जाने कितने ही गरीबों को फसाया था। आज वो आग मेरे घर तक भी पहुंच गई। मेरे छोटे भाई को भी ऐसे ही किसी केस मैं फसा दिया गया।

मैने बहुत कोशिश की पर जो केस मेरे भाई पर डाला गया था वो गुनाह दरासल मिनिस्टर के बेटे ने किया था । मैने बहुत कोशिश करके सारे सबूत जमा कर लिए पर इससे पहले मैं उन्हें कोर्ट मैं दिखा पाता। मेरे भाई का एनकाउंटर कर दिया गया यह कह कर की उसने भागने और पुलिस पर हमला करने की कोशिश की।

इस हादसे ने मुझे अंदर तक हिला दिया । उस दिन मैंने फैसला किया की अब बहुत होगया बस इस पावर के खेल में मैं और किसी के बेटे या भाई को मरने नही दूंगा। मैं वो सभ सबूत लेकर ओपोजिशन के पास गया इस शर्त पे की वो मुझे टिकट देंगे और साथ ही साथ गृह मंत्री बनाए गे । उनके पास और कोई रास्ता न होने के कारण वो मान गए क्योंकि पुलिस मैं रह कर उनके भी बहुत सारे राज थे मेरे पास जो अगर बाहर आते तो वो अगले 50 साल तक सता मैं नहीं आ पाते।

जब रूलिंग पार्टी के सीएम को पता चला तो उन्होंने मुझे मरने की कोशिश की पर जब इरादे नेक हो तो भगवान भी आपका साथ देते है। खुशकिस्मती और भगवान की कृपा से मैं जिंदा बच गया । पर इस हादसे से मुझे बहुत फायदा हुआ और मैं यह इलेक्शन जीत गया।

जीतने के बाद मैने यह शपत ली की आजसे कोई भी बेगुनाह किसी अमीर और ताकतवर आदमी के गुनाहों की सजा नही भुगते गा।

ना जाने मेरी बस्ती की तरह और कितनी बस्तियां है , जिन के बचे किसी अमीर के गुनाहों की भेट चढ़ जाते। नजाने और कितने ही बचे बिना किसी जुर्म के जेल मैं सजा काट रहे है। मैं उन सभ को तो शायद ना बचा पाऊं। पर मैं वादा करता हु अपनी हर सांस तक मैं यह कोशिश करूंगा की कोई निर्दोष किसी के गुनाहों की सजा न भुगतें ।

जय हिंद।


© khushpreet kaur