भेड़ की खाल में कुत्ता
एक चरवाहा था , बांसुरी बजाता था और हरी हरी घास रखता था
धीरे धीरे कुछ कुछ भेड़ उसके पास आने लगी ,उन सब भेड़ को बांसुरी और घास पसंद थी , वो सब भेड़ दूसरी भेड़ो को भी बुलाने लगी
धीरे धीरे चरवाहे के पास हजारो भेड़ इकट्ठा हो गई , ज्यादातर सफ़ेद भेड़ ही थी , पर कुछ लाल , कुछ काली ,कुछ काली और सफ़ेद भी थी , और भेड़ के साथ साथ भेड़ की खाल में भेड़िये भी आने लगे
चरवाहा भेड़ को बांसुरी सुनाता , कभी कभी हरी हरी घास भी देता
एक बार एक कुत्ता ये सब देखकर सोच में पड़ गया ,उसे ;लगा कोई भी इंसान मुफ्त में भेड़ो केलिए कुछ नहीं करता , या वो संत होगा , या व्यापारी इंसान होगा , या फिर एक मक्कार इंसान , उस जिज्ञासु कुत्ते को बड़ी उत्सुकता थी ये सब जानने की खास कर चरवाहे के बारे में , अब वो कुत्ता भेड़ की खाल (काले और सफ़ेद खाल) को ओढ़ कर भेड़ की भीड़ में घुस गया
कुत्ते को न घास खाना था , न बांसुरी सुनने का शौख था ,उसको बस यही जानना था उसकी धारणा कहा तक सही है , और साथ साथ वो ख्याल रखता था मासूम भेड़ का कोई फायदा न उठा ले
कुत्ते ने जाना सब भेड़ का ऊन निकाला जा रहा है , तो कुत्ते ने दूसरी भेड़ो को कहा " ये चरवाहा कोई संत नहीं है ,वो घास के बहाने तुम्हारा ऊन निकाल रहा है "
भेड़ो ने कहा "भाई , तुम अजीब भेड़ हो , सब इंसान ऐसे ही होते है , ये नहीं तो कोई चरवाहा होता तो भी यही करता "
कुत्ते को इतना समझ आ गया वो चरवाहा संत नहीं है , अब उसे ये जानना था वो व्यापारी है तो कैसा व्यापारी है अच्छा या बुरा , या मक्कार है तो किस किस्म का ?
दिन बीतते गए , कुत्ता चरवाहे की सारी गतिविधिया देखता था , जानता और समझता था , साथ साथ भेड़ो को भी देखता था , कभी कभी कोई कोई भेड़े एक दूसरे से लड़ती , कभी कभी भेड़ की खाल में रह रहे भेड़िये भेड़ो को नोचते
जैसे जैसे जो जो जानकारी कुत्ते को हुई कुत्ते ने भेड़ो को भी बताया और चरवाहे को भी अवगत किया , भेड़ भी जानकर सुनकर अनसुना करती और चरवाहा अजीब जवाब देता "सृष्टि की रचना ही ऐसी है , भेड़ो के खाल में भेड़िये भी मिलते है ,मुझे तो जो मिला सब को साथ लेकर चलना है "
अब कुत्ते को चरवाहा अजीब लगा "बातो से या संत जैसा था , या वो सच में सब को अपना रहा था , या कुछ और सोच थी "
साथ साथ चरवाहा भी चौकन्ना हो गया अजीब प्रकार की उस भेड़ को देखकर उसे भी संदेह हुआ " न ये भेड़ है , न ये भेड़िया "
जैसे जैसे और वक्त बीतता गया , भेडियो से परेशान होकर कुछ अच्छी भेड़े वो झुंड छोड़कर जाने लगी
कुत्ते ने चरवाहे को फिर चौक्कना किया और सलाह दी "चरवाहे भाई , भेडिओ की वजह से , तुम्हे ऊन देने वाली भेड़े जा रही है रोको , नुकशान तो तुम्हारे ऊन का भी है , भेडिओ का अब कुछ तो करो "
चरवाहे ने बात को नजर अंदाज किया और सब भेड़ो को कहा " मेरे आर्थिक हालात सही नहीं है , तुम्हारे ऊन से मेरा कुछ हो नहीं रहा ,अब तुम अपना दूध भी मुझे दो "
कुछ भेड़ों ने ख़ुशी ख़ुशी दूध देना शुरू किया ,कुछ भेड़ो ने कहा , हमारे छोटे बच्चे है हम उनके हिस्से का दूध नहीं दे सकते
चरवाहे ने दूध न देने वाली भेड़ो को अलग किया और कहा तुम्हे अब घास नहीं मिलेगी पर बांसुरी सुनने केलिए और दूसरी भेड़ो के साथ रहने केलिए , कुछ तो दूध देना ही होगा
अब कुत्ते ने फिर से सब भेड़ो को समझाया और कहा " ये चरवाहा व्यापारी तो है ही पर बुरा व्यापारी है "
भेड़ो ने जवाब दिया "सब ऐसा ही होता है इस दुनिया में सब व्यापारी बुरे ही होते है , तुम हमें सलाह मत दो , हम को वो घास खिलाता है , और जिस थाली में खाते है उसमे छेद नहीं करते हम "
कुत्तें ने कहा "तुम्हारी थाली में जो खाना आता है , वो तुम्हारे ही ऊन और दूध का है , यहाँ से चले जाओगे तो बेशक बनी बनाई घास मुँह में नहीं मिलेगी पर दुनिया छोटी नहीं है ,तुम खुद भटक कर घास ढूढ़कर खा सकोगी "
दूसरी कुछ भेड़ो ने कहा "घास तो मिल ही जाएगी पर भेड़ो का साथ ? वो कहा मिलेगा "
कुत्ते ने कहा "कोई भेड़ तुम्हारी सगी नहीं है , बुरे वक्त में अपने आप के अलावा कोई काम नहीं आता , और जो सही में दो चार अच्छी भेड़ है वो तुम्हारे साथ ही रहेगी "
भेड़ो को कुत्ते का ये सुझाव अजीब लगा , और चरवाहे को भी भेड़ की खाल में रहने वाले कुत्ते का अंदाजा हो गया , चरवाहे ने सोचा ये कुत्ता मेरी भेड़ो को उकसा रहा है ,पर चरवाहे ने किसी भी भेड़ या भेड़ की खाल में रहने वाले भेडियो पर सख्त कदम नहीं उठाए थे तो वो इस कुत्ते का भी कुछ नहीं कर पा रहा था
एक दिन कुत्ते ने देखा चार पांच भेड़ो पर भेड़िये टूट पड़े और उसे खा रहे थे
कुत्ते ने अब सब भेड़ो को कहा और चरवाहे को भी "तुम्हे पता है यहाँ भेड़िये है और भेड़ो को खा रहे है ?"
चरवाहे ने कुत्ते को कोने पर ले जाकर कहा "तुम्हे जो कहना है मुझे कहो , इस तरह भोली भाली सब भेड़े आहत हो जाएगी "
कुत्ते का साथ देने केलिए आठ दस और भी भेड़े आई पर चरवाहा सब भेड़ो को अलग अलग बात समझा रहा था " ये कुत्ता है , ये भेड़ो का अच्छा नहीं चाहता वगैरह वगैरह "
कुत्ते को बार बार कहा तुम सिर्फ मुझसे अकेले में बात करोगे ,कुत्ते ने अकेले में बात करना शुरू किया
कुत्ता "तुम्हे पता है न भेड़ की खाल में भेड़िये भेड़ो के शिकार कर रहे है , तो तुम उस भेडिओ को क्यों निकाल नहीं रहे "
चरवाहा " यही भेड़ो की किस्मत है , भेड़िये अपना आहार कर रहे है , वो कुछ गलत नहीं कर रहे "
कुत्ते को पता चला वो भेड़िये भी चरवाहे के ही थे , चरवाहा न सिर्फ ऊन और दूध बेचता था, वो भेड़ का मांस भी बेचता था
यही बात अब कुत्ता सब भेड़ को बताने जा रहा था , चरवाहे ने भेडिओ को तो झुंड में रक्का पर कुत्ते को झुंड से बहार फेंक दिया
कुछ भेड़े कुत्ते के बचाव में बोलती रही , चीखती रही , चरवाहे को कोई फर्क नहीं पड़ा
पर कुछ भेड़े कह रही थी अच्छा किया कुत्ते को बहार फेंक दिया "साला , भेड़ की खाल में कुत्ता था , जीस थाली में खाता उसी में छेद किया , कुत्ते हमेशा कुत्ते ही रहते है "
सही था , कुत्ता कुत्ते जैसा ही था वो दूसरी खाल पहनकर वही झुंड में वापस आ गया देखने की - आखिर चरवाहा कर क्या रहा है , भेड़े इस घटना को लेकर क्या सीख रही है , क्या बाते चल रही है कुत्ते के बारे में, भेड़ के बारे में, चरवाहे के बारे में ?
कुत्ते ने वही देखा - कुछ भेड़े कुत्ते के जाने का अफ़सोस मना रही थी , कुछ भेड़े सोच रही थी अच्छा ही हुआ आखिर , कुछ भेड़ो को पता ही नहीं था वो सोचती थी की जिसे निकाला या तो वो अपने आप चला गया होगा या वो सही प्रकार की भेड़ नहीं होगा
खैर कुत्ते ने देखा कुछ ही दिनों बाद वो चरवाह सब भेड़ो को बता रहा था "अब मेरा अंत समय आ गया है , मैं तुम्हे हरी हरी घास खिलाता रहा , बांसुरी की धुन सुनाता रहा , बदले में तुमसे मैंने थोड़ा ऊन, दूध ( और मांस ) लिया पर उससे मेरा कुछ बना नहीं, मेरे लिए प्रार्थना करना "
ये सब घोसणा सुनकर काफी भेड़ सदमे में चली गई , किसी किसी का रो रो कर बुरा हाल हो गया , कोई कुत्ते को कोसने लगी और सब उस चरवाहे केलिए प्रार्थना करने लगी
कुत्ता वो सब देख रहा था , उसको भी थोड़ा बुरा लगा ,आखिर सब भेड़ो का साथ छूट जायेगा , सुख दुःख की बाते अब किस भेड़ से करेगी ?,
पर वो भेड़ नहीं था ,उसे भेड़ो की उतनी चिंता नहीं हो रही थी वो जानता था पहले भी भेड़ घूम फिर कर अपना घास खा ही लेती थी वैसे आने वाले कल में भी खा ही लेगी , थोड़ी दिक्कत होगी भेड़ के जीवन में पर चरवाहे से अलग होकर अंत में भला तो भेड़ का ही होगा ,
पर कुत्ता चरवाहे का हाल देखकर कुत्ते की तरह बेशरम हो कर हँस रहा था
कुत्ता सच में अजीब था
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धीरे धीरे कुछ कुछ भेड़ उसके पास आने लगी ,उन सब भेड़ को बांसुरी और घास पसंद थी , वो सब भेड़ दूसरी भेड़ो को भी बुलाने लगी
धीरे धीरे चरवाहे के पास हजारो भेड़ इकट्ठा हो गई , ज्यादातर सफ़ेद भेड़ ही थी , पर कुछ लाल , कुछ काली ,कुछ काली और सफ़ेद भी थी , और भेड़ के साथ साथ भेड़ की खाल में भेड़िये भी आने लगे
चरवाहा भेड़ को बांसुरी सुनाता , कभी कभी हरी हरी घास भी देता
एक बार एक कुत्ता ये सब देखकर सोच में पड़ गया ,उसे ;लगा कोई भी इंसान मुफ्त में भेड़ो केलिए कुछ नहीं करता , या वो संत होगा , या व्यापारी इंसान होगा , या फिर एक मक्कार इंसान , उस जिज्ञासु कुत्ते को बड़ी उत्सुकता थी ये सब जानने की खास कर चरवाहे के बारे में , अब वो कुत्ता भेड़ की खाल (काले और सफ़ेद खाल) को ओढ़ कर भेड़ की भीड़ में घुस गया
कुत्ते को न घास खाना था , न बांसुरी सुनने का शौख था ,उसको बस यही जानना था उसकी धारणा कहा तक सही है , और साथ साथ वो ख्याल रखता था मासूम भेड़ का कोई फायदा न उठा ले
कुत्ते ने जाना सब भेड़ का ऊन निकाला जा रहा है , तो कुत्ते ने दूसरी भेड़ो को कहा " ये चरवाहा कोई संत नहीं है ,वो घास के बहाने तुम्हारा ऊन निकाल रहा है "
भेड़ो ने कहा "भाई , तुम अजीब भेड़ हो , सब इंसान ऐसे ही होते है , ये नहीं तो कोई चरवाहा होता तो भी यही करता "
कुत्ते को इतना समझ आ गया वो चरवाहा संत नहीं है , अब उसे ये जानना था वो व्यापारी है तो कैसा व्यापारी है अच्छा या बुरा , या मक्कार है तो किस किस्म का ?
दिन बीतते गए , कुत्ता चरवाहे की सारी गतिविधिया देखता था , जानता और समझता था , साथ साथ भेड़ो को भी देखता था , कभी कभी कोई कोई भेड़े एक दूसरे से लड़ती , कभी कभी भेड़ की खाल में रह रहे भेड़िये भेड़ो को नोचते
जैसे जैसे जो जो जानकारी कुत्ते को हुई कुत्ते ने भेड़ो को भी बताया और चरवाहे को भी अवगत किया , भेड़ भी जानकर सुनकर अनसुना करती और चरवाहा अजीब जवाब देता "सृष्टि की रचना ही ऐसी है , भेड़ो के खाल में भेड़िये भी मिलते है ,मुझे तो जो मिला सब को साथ लेकर चलना है "
अब कुत्ते को चरवाहा अजीब लगा "बातो से या संत जैसा था , या वो सच में सब को अपना रहा था , या कुछ और सोच थी "
साथ साथ चरवाहा भी चौकन्ना हो गया अजीब प्रकार की उस भेड़ को देखकर उसे भी संदेह हुआ " न ये भेड़ है , न ये भेड़िया "
जैसे जैसे और वक्त बीतता गया , भेडियो से परेशान होकर कुछ अच्छी भेड़े वो झुंड छोड़कर जाने लगी
कुत्ते ने चरवाहे को फिर चौक्कना किया और सलाह दी "चरवाहे भाई , भेडिओ की वजह से , तुम्हे ऊन देने वाली भेड़े जा रही है रोको , नुकशान तो तुम्हारे ऊन का भी है , भेडिओ का अब कुछ तो करो "
चरवाहे ने बात को नजर अंदाज किया और सब भेड़ो को कहा " मेरे आर्थिक हालात सही नहीं है , तुम्हारे ऊन से मेरा कुछ हो नहीं रहा ,अब तुम अपना दूध भी मुझे दो "
कुछ भेड़ों ने ख़ुशी ख़ुशी दूध देना शुरू किया ,कुछ भेड़ो ने कहा , हमारे छोटे बच्चे है हम उनके हिस्से का दूध नहीं दे सकते
चरवाहे ने दूध न देने वाली भेड़ो को अलग किया और कहा तुम्हे अब घास नहीं मिलेगी पर बांसुरी सुनने केलिए और दूसरी भेड़ो के साथ रहने केलिए , कुछ तो दूध देना ही होगा
अब कुत्ते ने फिर से सब भेड़ो को समझाया और कहा " ये चरवाहा व्यापारी तो है ही पर बुरा व्यापारी है "
भेड़ो ने जवाब दिया "सब ऐसा ही होता है इस दुनिया में सब व्यापारी बुरे ही होते है , तुम हमें सलाह मत दो , हम को वो घास खिलाता है , और जिस थाली में खाते है उसमे छेद नहीं करते हम "
कुत्तें ने कहा "तुम्हारी थाली में जो खाना आता है , वो तुम्हारे ही ऊन और दूध का है , यहाँ से चले जाओगे तो बेशक बनी बनाई घास मुँह में नहीं मिलेगी पर दुनिया छोटी नहीं है ,तुम खुद भटक कर घास ढूढ़कर खा सकोगी "
दूसरी कुछ भेड़ो ने कहा "घास तो मिल ही जाएगी पर भेड़ो का साथ ? वो कहा मिलेगा "
कुत्ते ने कहा "कोई भेड़ तुम्हारी सगी नहीं है , बुरे वक्त में अपने आप के अलावा कोई काम नहीं आता , और जो सही में दो चार अच्छी भेड़ है वो तुम्हारे साथ ही रहेगी "
भेड़ो को कुत्ते का ये सुझाव अजीब लगा , और चरवाहे को भी भेड़ की खाल में रहने वाले कुत्ते का अंदाजा हो गया , चरवाहे ने सोचा ये कुत्ता मेरी भेड़ो को उकसा रहा है ,पर चरवाहे ने किसी भी भेड़ या भेड़ की खाल में रहने वाले भेडियो पर सख्त कदम नहीं उठाए थे तो वो इस कुत्ते का भी कुछ नहीं कर पा रहा था
एक दिन कुत्ते ने देखा चार पांच भेड़ो पर भेड़िये टूट पड़े और उसे खा रहे थे
कुत्ते ने अब सब भेड़ो को कहा और चरवाहे को भी "तुम्हे पता है यहाँ भेड़िये है और भेड़ो को खा रहे है ?"
चरवाहे ने कुत्ते को कोने पर ले जाकर कहा "तुम्हे जो कहना है मुझे कहो , इस तरह भोली भाली सब भेड़े आहत हो जाएगी "
कुत्ते का साथ देने केलिए आठ दस और भी भेड़े आई पर चरवाहा सब भेड़ो को अलग अलग बात समझा रहा था " ये कुत्ता है , ये भेड़ो का अच्छा नहीं चाहता वगैरह वगैरह "
कुत्ते को बार बार कहा तुम सिर्फ मुझसे अकेले में बात करोगे ,कुत्ते ने अकेले में बात करना शुरू किया
कुत्ता "तुम्हे पता है न भेड़ की खाल में भेड़िये भेड़ो के शिकार कर रहे है , तो तुम उस भेडिओ को क्यों निकाल नहीं रहे "
चरवाहा " यही भेड़ो की किस्मत है , भेड़िये अपना आहार कर रहे है , वो कुछ गलत नहीं कर रहे "
कुत्ते को पता चला वो भेड़िये भी चरवाहे के ही थे , चरवाहा न सिर्फ ऊन और दूध बेचता था, वो भेड़ का मांस भी बेचता था
यही बात अब कुत्ता सब भेड़ को बताने जा रहा था , चरवाहे ने भेडिओ को तो झुंड में रक्का पर कुत्ते को झुंड से बहार फेंक दिया
कुछ भेड़े कुत्ते के बचाव में बोलती रही , चीखती रही , चरवाहे को कोई फर्क नहीं पड़ा
पर कुछ भेड़े कह रही थी अच्छा किया कुत्ते को बहार फेंक दिया "साला , भेड़ की खाल में कुत्ता था , जीस थाली में खाता उसी में छेद किया , कुत्ते हमेशा कुत्ते ही रहते है "
सही था , कुत्ता कुत्ते जैसा ही था वो दूसरी खाल पहनकर वही झुंड में वापस आ गया देखने की - आखिर चरवाहा कर क्या रहा है , भेड़े इस घटना को लेकर क्या सीख रही है , क्या बाते चल रही है कुत्ते के बारे में, भेड़ के बारे में, चरवाहे के बारे में ?
कुत्ते ने वही देखा - कुछ भेड़े कुत्ते के जाने का अफ़सोस मना रही थी , कुछ भेड़े सोच रही थी अच्छा ही हुआ आखिर , कुछ भेड़ो को पता ही नहीं था वो सोचती थी की जिसे निकाला या तो वो अपने आप चला गया होगा या वो सही प्रकार की भेड़ नहीं होगा
खैर कुत्ते ने देखा कुछ ही दिनों बाद वो चरवाह सब भेड़ो को बता रहा था "अब मेरा अंत समय आ गया है , मैं तुम्हे हरी हरी घास खिलाता रहा , बांसुरी की धुन सुनाता रहा , बदले में तुमसे मैंने थोड़ा ऊन, दूध ( और मांस ) लिया पर उससे मेरा कुछ बना नहीं, मेरे लिए प्रार्थना करना "
ये सब घोसणा सुनकर काफी भेड़ सदमे में चली गई , किसी किसी का रो रो कर बुरा हाल हो गया , कोई कुत्ते को कोसने लगी और सब उस चरवाहे केलिए प्रार्थना करने लगी
कुत्ता वो सब देख रहा था , उसको भी थोड़ा बुरा लगा ,आखिर सब भेड़ो का साथ छूट जायेगा , सुख दुःख की बाते अब किस भेड़ से करेगी ?,
पर वो भेड़ नहीं था ,उसे भेड़ो की उतनी चिंता नहीं हो रही थी वो जानता था पहले भी भेड़ घूम फिर कर अपना घास खा ही लेती थी वैसे आने वाले कल में भी खा ही लेगी , थोड़ी दिक्कत होगी भेड़ के जीवन में पर चरवाहे से अलग होकर अंत में भला तो भेड़ का ही होगा ,
पर कुत्ता चरवाहे का हाल देखकर कुत्ते की तरह बेशरम हो कर हँस रहा था
कुत्ता सच में अजीब था
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