कभी सोचा न था!(Based on long distance relationships)(Part -2)
क्या करूँ क्या ना करूँ कुछ पता ही नहीं चला दोस्ती कब प्यार में बदल गई। वो लड़का नाम था उसका *अनुराग *उम्र में हंसिका से छोटा था और एक जरूरत सी बन गया था वो।
चलिए देखते हैं क्या हुआ उनके बीच ~~
जब उन दोनों ने आपस में बातें शुरू की एक दूसरे के साथ गाना गाना शुरू किया तो कुछ एहसास जुड़ते गए, दोनों एक दूसरे में खोने लगे जैसे पहले से जानते हों एक दूसरे को कभी लगा ही नहीं कि कोई अंजान व्यक्ति है ये। हर बात बताने लगे अपनी एक-दूसरे को ।हंसिका भूल ही गई कि कोई परिवार भी है उसका मन बहुत खुश रहने लगा जैसे नया जीवन सा मिल गया हो, फिर एक दिन अनुराग ने हंसिका को अपने दिल की बात कह डाली कि वो उसे पसंद करने लगा है हंसिका जैसे मूर्ति सी बन गई हो सुनकर, सोचने लगी ना कभी देखा ना मिली उससे कैसे और क्या कहूँ उससे एक तरफ परिवार और एक तरफ ये नया दोस्त अनुराग, पसंद तो हंसिका भी करने लगी थी पर परिवार से बंधी हुई थी कुछ नहीं बोली और चली गई।
फिर एक दिन अनुराग का गाया हुआ गाना देखा तो बहुत अच्छा लगा सुनकर, उसकी आवाज़ सुनकर मन खिल उठता था जाने क्या जादू था उसकी आवाज़ में कमेन्ट किए बिना खुद को रोक नहीं पाई, वो भी जैसे खुशी से पागल हो जाता था वो फिर हंसिका के लिए गाना गाने लगा, अनुराग को भी एक लगन सी लग गई थी रोज़ गाना गाने लगा हंसिका और अनुराग जैसे अपनी दुनिया में खोने से लगे, एक दिन अनुराग ने हंसिका से
वीडियो कॉल करने को कहा और वो मान गई, हंसिका तो उसे एक अच्छे दोस्त की तरह मानने लगी क्या पता था अनुराग...
चलिए देखते हैं क्या हुआ उनके बीच ~~
जब उन दोनों ने आपस में बातें शुरू की एक दूसरे के साथ गाना गाना शुरू किया तो कुछ एहसास जुड़ते गए, दोनों एक दूसरे में खोने लगे जैसे पहले से जानते हों एक दूसरे को कभी लगा ही नहीं कि कोई अंजान व्यक्ति है ये। हर बात बताने लगे अपनी एक-दूसरे को ।हंसिका भूल ही गई कि कोई परिवार भी है उसका मन बहुत खुश रहने लगा जैसे नया जीवन सा मिल गया हो, फिर एक दिन अनुराग ने हंसिका को अपने दिल की बात कह डाली कि वो उसे पसंद करने लगा है हंसिका जैसे मूर्ति सी बन गई हो सुनकर, सोचने लगी ना कभी देखा ना मिली उससे कैसे और क्या कहूँ उससे एक तरफ परिवार और एक तरफ ये नया दोस्त अनुराग, पसंद तो हंसिका भी करने लगी थी पर परिवार से बंधी हुई थी कुछ नहीं बोली और चली गई।
फिर एक दिन अनुराग का गाया हुआ गाना देखा तो बहुत अच्छा लगा सुनकर, उसकी आवाज़ सुनकर मन खिल उठता था जाने क्या जादू था उसकी आवाज़ में कमेन्ट किए बिना खुद को रोक नहीं पाई, वो भी जैसे खुशी से पागल हो जाता था वो फिर हंसिका के लिए गाना गाने लगा, अनुराग को भी एक लगन सी लग गई थी रोज़ गाना गाने लगा हंसिका और अनुराग जैसे अपनी दुनिया में खोने से लगे, एक दिन अनुराग ने हंसिका से
वीडियो कॉल करने को कहा और वो मान गई, हंसिका तो उसे एक अच्छे दोस्त की तरह मानने लगी क्या पता था अनुराग...