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"ट्रैफिक" जाम न मिलेगा.. एक सकारात्मक सोच..
हम सुबह उठते हैं और ऑफिस के लिए रवाना होते हैं और देर हो जाती है। अगले दिन फिर कोशिश करते हैं, कि जल्दी पहुंचे.. पर फिर देरी से पहुंचते हैं। ऐसा हमारे साथ बार-बार होता है, और फिर हम अपनी किस्मत को कोसते हैं कि हमारे साथ ही ऐसा क्यों होता है..

दरअसल इसमें दोष किस्मत का नहीं.. हमारा है.. हम अपनी नकारात्मकता से बाहर निकलना ही नहीं चाहते.. "ना" "नहीं" जैसे शब्द का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दे.. "कि आज देर ना हो जाए".. "ट्रैफिक जाम ना मिले"..

बजाय इसके यह सोचे कि "मैं समय का पाबंद हूं" और कल्पना करें कि ऑफिस में बॉस.. स्टाफ सब हमसे खुश है.. और चेहरे पर मुस्कान रखें.. सकारात्मकता खुद-ब-खुद हमारी ओर अग्रसर होने लगेगी

देखना फिर ट्रैफिक जाम ना मिलेगा और लंच भी वक्त से पहले मिलेगा.. 😊

© अनकहे अल्फाज़...
#writco #storytime