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धोबी का कुत्ता,न घर का,न घाट का
नमस्कार दोस्तों,आज मैं आप सभी से एक किस्सा, किस्सा तो नहीं कह सकती,मेरी आपबीती समझ लीजिए,शेयर करने जा रही हूं, मुझे नहीं पता कि ये सही है या ग़लत। पर फिर भी मैं इसे यहां बता कर अपने जैसे दूसरी लड़कियों को सचेत करना चाहती हूं।
मुझे एक व्यक्ति पिछले एक साल से परेशान किए जा रहा है, ये कह कर कि वो मुझे पसंद करता है, और ये बात मैंने पंडित जी को भी बताई, और हम दोनों ने उसे कयी दफा सबक भी सिखाया फिर भी न जाने वो कौन सी मिट्टी से बना है कि जाने का नाम ही नहीं लेता। और तो और वो ख़ुद विवाहित और बाल बच्चों वाला व्यक्ति है। और अब तो हद ही हो गई,मदिरा के नशे में पागलों जैसे बातें करता है, और जब पंडित जी और मैं उसे कड़े शब्दों में मार्गदर्शन करते हैं तो वो अभद्र भाषा का उपयोग करता है। मुझे तो बिल्कुल ही पागल और सरफिरा लगता है। बताइए इंसान को यहां सांस लेने तक की फुर्सत नहीं और इस महाशय को इश्क़ का भूत सवार है। पर इस इंसान की वजह से हमारी ज़िंदगी में एक चीज़ तो काफ़ी अच्छी हुई और वो ये है कि पंडित जी और हमारा प्रेम और प्रगाढ़ हो गया। पहले से भी ज़्यादा हम एक दूसरे को चाहने लगे। ये उन सभी दंपतियों के लिए एक सीख और उदाहरण है कि चाहे आपके दांपत्य जीवन के बीच में जो कोई भी आए,गर आप दोनों एक दूसरे पर यूं ही भरोसा और स्नेह क़ायम रखें तो कोई आप दोनों को अलग नहीं कर सकता। जब दो दिल आपस में मिल ही चुके हैं तो किसी तीसरे का इसमें क्या काम।
पर दाद देनी पड़ेगी उस व्यक्ति की जो अब भी इस आस में लगा है कि वो हमारे बीच दूरियां ला सकता है।‌तो मैं ऐसे इंसानों से बस इतना ही कहना चाहूंगी कि फ़िज़ूल में अपना समय और दिमाग़ यहां न लगाएं, ख़ुद की ज़िंदगी को बेहतर कैसे बनाएं,उस पर ध्यान केंद्रित करें। कहीं ऐसा न हो कि धोबी के कुत्ते जैसी हालत हो जाए,न घर के न घाट के।
धन्यवाद 🙏
© Aphrodite