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तेरी-मेरी यारियाँ! ( भाग - 20 )
पार्थ :- हाँ,,,,,मुझे पता है क्योंकि मेरे चाचू वकील है। तो उनके पास सबसे ज्यादा केस बाल विवाह के ही आते हैं।

निवान :- अच्छा,,,,, तो यह बात है लेकिन फिर भी पार्थ यह बाल विवाह अपराध क्यों है ?

पार्थ :- भाई,,,, एक काम कर तू बाल विवाह कर ले , तुझे खुद पता चल जाएगा की बाल विवाह क्यों नही करना चाहिए।

निवान :- पागल है क्या,,,,,, मेरी तो अभी पढ़ने-लिखने की उम्र है। बड़े होकर कुछ बनना भी तो है और वाणी को भी कुछ बड़ा बनाना है।

गीतिका :- चोंकते हुए,,,,, यह वाणी कौन है ?

पार्थ :- वाणी,,,, निवान की सात साल की छोटी बहन है, बहुत प्यारी है' तुझे भी उससे मिलाएंगे।

निवान :- उदास होकर,,,,,, लेकिन पार्थ अगर गीतिका के घर वाले नही मानते की वह अभी बेचारी छोटी सी लड़की है तो हम क्या करेंगे।

गीतिका :- निवान के ऊपर गुस्से मे चप्पल फैंकते हुए,,,,,तुझे क्या है।

निवान :- गीतिका को चप्पल देते हुए,,,,तुझे एक सुझाव देता हूँ "
लेकिन तुझे चाहिए तो,,,,बोल दूँ ?

गीतिका :- क्या,,,,, सुझाव बता जल्दी से,,,

निवान :- तू बिल्कुल ऐसी हरकत कर अपनी माँ के सामने, उसके बाद वह अपने आप ही तेरा बाल विवाह ना करा कर,,,,,,तुझे किसी अच्छे से पागलखाने मे भर्ती करा देंगी।

गीतिका :- पार्थ को देखते हुए,,,,,पार्थ,,,थ,,,।

निवान :- गुस्से मे,,,,क्या करेगा वो,, पागल कहीं की,,,,,, चप्पल क्यों फेंक रही है और तेरे भले के लिए ही तो बोल रहा था।

पार्थ :- अरे यार,,,तुम दोनो बड़े होने के बाद भी बच्चे के बच्चे ही रहोगे।

गीतिका :- पार्थ,,,,,,जैसे तू तो बहुत बड़ा हो गया है।

पार्थ :- मज़ाक मे,,,,,कितने भोले हो रे तुम बालको,,,,,

निवान :- क्या-क्या बोल रहा है,,, भाई तुझे हो क्या गया है,,,,,वो ठीक तो बोल रही है, तेरी तबियत तो ठीक है।

पार्थ :- हँसते हुए,,,,अच्छा यह बता,,,,,निवान की मै कितने साल का हूँ।

निवान :- फटाफट से,,,,तू सोलह साल का है।

पार्थ :- हाँ,,, तो अब,,,,,, थोड़ा सा दिमाग लगाओ और बताओ' की मुझे अठारह साल का होने मे, कितने साल बाकी है।

निवान :- हिसाब लगाते हुए,,,,, बस दो साल बाकी है।

पार्थ :- मुस्कुराते हुए,,,, मिल गया,,,जवाब।

निवान :- अब्बे यार,,,,, इसका मतलब की तू हम से पहले ही बड़ा हो जाएगा और हम छोटे ही रह जाएंगे।

पार्थ :- हे भगवान,,, इन नादान बच्चों को थोड़ी बुद्धि दो और इन्हे बताओ की मैं इनसे अभी भी बड़ा ही हूँ।

गीतिका :- खुश होकर,,,,,चलो अच्छा है'कोई एक तो मेरी तरह ही छोटा रहेगा।

निवान :- गीतिका को दाँत दिखाते हुए,,,,हा,,हा,,हा,,यह बिना सिर और पैर वाली बात जो तूने कहीं है ना गीतिका, मजा आ गया  सुनकर, मतलब तू क्या ही दिमाग चलाती है।

गीतिका :- पार्थ की ओर देखते हुए,,,,,,,,इसे क्या हो गया,,, यह कब से मेरी तारीफ करने लगा।

पार्थ :- धीरे से बोलते हुए,,,,,बुद्धु कहीं की,,,उसने तेरी तारीफ करी ही कब है।

गीतिका :- इसका मतलब इसने फिर से मुझे कुछ,,,,

गीतिका इसके आगे कुछ बोलती निवान उसके बीच मे ही बोल पड़ता है।

निवान :- हँसते हुए,,,, इसका मतलब यह की जैसे "मैं पार्थ से छोटा हूँ " वैसे ही तू भी मुझसे छोटी है।

पार्थ :- अच्छा,,,, तब की तब देखी जाएगी,,, अब घर चलो बहुत देर हो गई है। माँ इंतज़ार कर रही होंगी।

गीतिका :- पार्थ,, तूने बताया तो अभी भी नही की मैं क्या करूँ।

निवान :- गुस्से में,,,,,तेरी सुई अभी भी बाल विवाह पर अटकी हुई है। वैसे तेरी माँ को पता नही है क्या की तुझे शादी की नही बल्कि इलाज की जरूरत है।

गीतिका :- तुझे यह सब मज़ाक लग रहा है,, अभी तो मुझे पढ़ना है, बड़े होकर अपना सपना पूरा करना है और मेरी माँ को यह सब बिल्कुल पसंद नही है।

पार्थ :- हाँ,,, तो ठीक है ना तुझे,,,,,,,

To Be Continue Part - 21
© Himanshu Singh