...

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पल भर का साया बहुत देर बाद याद आया


बस जरा सी देर को अहसास हुआ था ।

उसका हमको पर था वो

तन्हा तन्हा

क्या मेरी ही तरह सोच रहा था किसी को ।

क्या उसकी भी थी कोई कहानी पर थी

तन्हा तन्हा

क्या वो आईना था या वो‌ साया था।।

क्या कोई साये की तलाश में था पर था।

तन्हा तन्हा

वो तूफान सा था या बारिश की बूंद था ।

क्या गरजते बादल की आवाज था पर।

तन्हा तन्हा


वो शख्स था या कोई रूहों का‌ साया था

क्या जुदा हुआ था या किसी से हारा‌ था

पर था मगर तन्हा तन्हा।।



वृंदा ््
💔