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स्वरचित श्री राधा चालीसा...🌹🌹✍️
दोहा :-

हे वृंदावन की वासिनि ,मैं ध्याऊं बारम्बार
वात्सल्य की सिन्धु तुम, कृपा करौ अपार
श्री चरणों का आसरा, कहां जाऊं सरकार
हे वृषभानु की लाडली,निक मेरी ओर निहार

जय जय जय वृषभानु दुलारी
जय जय जय कीरति की प्यारी
मिटय क्लेश कटय भव बाधा
जो सुमरै राधा श्री राधा
जो चरणन का ध्यान लगावै
उसके उर आनन्द समावै
जो तुमरो गुणगान न गावै
वो माधव की न किरपा पावै

कृष्ण प्रिया तुम राधारानी
तुम सा नहीं कोई जग में सानी
सुनते पुकार भक्त की आवहिं
सर्व जनन को पार लगावहिं
अनुपम रूप छटा बहुतेरी
सब जग माहीं ज्योति बिखेरी
दया क्षमा रति सिन्धु अपारा
तुम करुणा की पावन धारा

जा पर कृपा राधे की होई
ता पर कृपा करै सब कोई
शेष महेश सभी रिषि ज्ञानी
मुख से तुमरी महिमा बखानी
जो नर नाम है लेत तुम्हारा
वो कान्हा को सबसे प्यारा
धरम करम में हमें लगातीं
सदा हमें सन्मार्ग चलातीं

राधा नाम से संकट कटते
स्वयं कन्हैया राधा रटते
आदि शक्ति तुम आदि भवानी
कोमल उर की राधा रानी
जो पढ़ ले राधा चालीसा
वो खिल उठे सूर्य लाली सा
भूल हमारी क्षमा कर दीजौ
श्री चरणन में हमकौ लीजौ

दोहा:-
कर निज दोउ जोड़कर
विनती करत द्वार
करौ दया की दृष्टि तुम
कृष्ण की प्राणाधार

🙏बोलिए राधा रानी की जय🙏




© Shaayar Satya