...

17 views

दिल के तार
मुख्य पात्र
कृष्णा,
शेखर सिंह
रानो
।।।।। ये कहानी सोमनगर में रहने वाली कृष्णा शुक्ला की है ,जो सुहागन तो हो गई मांग में सिंदूर भी पड़ गया पर पत्नी नहीं बन पाई।।।।।

भाग 01

( एक बूढ़ा सा व्यक्ति उम्र लगभग 70 साल नाम पंडित दिव्य नारायन शुक्ला मा दुर्गा के जगराते का संचालन कर रहे है ,उसी गांव के लोग पंडित जी को पूजा आरंभ करने के लिए कहते हैं)

गांव के लोग :- पंडित जी पूजा आरम्भ कीजिए मुहुर्त बीता जा रहा है।

दिव्य:- आप सबको पता होगा ,जब तक कृष्णा नहीं आएगी से पूजा कैसे शुरू होगा सारे गांव के लोग है बस वही आ जाए

गांव के लोग:- अरे पंडित जी आज कल की लड़कियां क्या जाने पूजा पाठ आप आरम्भ कीजिए सूरज निकलने वाला है ।

*****कृष्णा दौड़ते हुए आती है ,सबकी नजर उस पर पड़ती है कृष्णा ,पंडित दिव्य नारायण शुक्ला की पोती ****
उम्र- 24 साल
रंग - गोरा
हाईट 5 फीट से ज्यादा
ड्रेस- एकदम सिम्पल

कृष्णा:- {हांफते हुए} हमें देर तो नहीं हुई दादा जी ।

दिव्य:- नहीं

****। ओ मुस्कुरा उठती है ,जगराते का आरंभ होता है ,कृष्णा मा दुर्गा को लाल चुनरी ओढाती है ,सब आरती में लीन हो जाते है ****

दिव्य:- इस बार नवरात्रि के शुभ अवसर पर 9 दिन मा का पूजा अर्चना होगा और सबके हाथो आरती होगी ।

(सब प्रसाद लेकर अपने अपने घर चले जाते है )

++++ मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर पंडित जी का घर है ,सुंदर व्यवस्थित सामने,कुआ,पीछे बागीचा ,पंडित जी और कृष्णा घर आते है ,
(दिव्या बैठते हुए)

दिव्य:- आने में देर क्यों हो गई थी ।

कृष्णा:- दादा जी आश्रम में एक औरत का तबीयत खराब हो गया था ,उसकी का इलाज करने लगी ।

दिव्य:- बेटा तुम हमारे द्वारा दी गई शिक्षा का शी उपयोग कर रही हो ,बस में भी अपनी एक जिम्मेदारी निभा कर चैन से मौत की नींद सोना चाहता हूं।

कृष्णा:- नहीं दादाजी हम आपका सेवा उम्र भर करना चाहते है ।।

दिव्य:-। कहा किसका मेरे जैसे भाग्य है जो अपनी पोती का कन्यादान करेगा बस तुम्हरा हाथ किसी अच्छे हाथ में देकर चिंता मुक्त हो जाना चाहता हूं ।

कृष्णा :- आपके लिए चाय बनाए

दिव्य:- ये कोई कहने की बात है जाओ

*** फ़ोन की घंटी बजती है ,कृष्णा फ़ोन उठाती है ,,,, हैलो ,,,,,जी अभी दे रहे है ,,,,दिव्य नारायन फोन लेते है

दिव्य:- जय माता ......जी....... अवश्य आइए......हम सरा प्रबन्ध देख लेंगे......जी जय माता दी

(कृष्णा चाय लेकर आती है )

कृष्णा :- किसका फोन था दादाजी

दिव्य :- बेटा सोमंगर में जो पहले घर पड़ता है

कृष्णा बात काट कर
कृष्णा:- आप उसे घर कहते है ओ तो एकदम महल अही दादाजी।

दिव्य:-। हा उसी महल के मालिक का फोन था ,उनका इकलौता बेटा फौरन से 15 साल बाद आ रहा है , ओ चाहते है उनके बेटे के हाथो मन्दिर में पूजा हो ओ नवमी में यहां आएंगे।

कृष्णा :- तो सारा प्रबन्ध आपको करना है दादा जी ।

दिव्य:-। नहीं आपको करना उनके पूजा का व्यवस्था ।

कृष्णा :- पर में हस्पताल जाना भी जरूरी है ,ठीक है शाम को के देंगे कोई प्रॉब्लम नहीं होगा ना

दीव्य:- नही बेटा


***** दिल्ली में ठाकुर चंद्रकांत सिंह का महल खूब बड़ा सा आलीशान, चंद्रकांत की उम्र लगभग 55 साल रंग सामन्या कद लम्बा इस समय ओ हल्के पीले रंग का कुर्ता पजमा पहने है,अपनी पत्नी को आवाज देते है *****

चंद्र:-। आप मन सुन रही है अर्चना जी

***** अर्चना चंद्रकांत जी की पत्नी इस वक्त जो जरी की गई गुलाबी रंग की साड़ी पहनी है ,अंदर से मुस्कुराती हुई आती है***,
अर्चना:-। फरमाइए ठाकुर साहब
(चंद्रकांत कुछ देर अर्चना को देखते है ,फिर बोलते है )
चंद्र:- इतना सजना संवरना छोड़ दीजिए,अब बहू आने वाली है हमारे घर में बेटा बड़ा हो गया है।।

अर्चना:-। पता है ठाकुर साहब बहू के आने के बाद सास को सजना संवरना नहीं चाहिए , लेकीन हमारी बहू के आने में अभी बहुत वक़्त है।।

चन्द्र:- हमारा बेटा शेखर 15साल बाद इन्डिया आ रहा है हम तो बहुत प्रसन्न है,अर्चना क्या अभी भी हमारे बेटे में वही संस्कार होंगे या फिर एकदम बदल गया होगा।

अर्चना:-। को लोग इस भारत की धरती पर जन्म लिए है ओ कहीं भी रहे उनके संस्कार यही का रहेगा ठाकुर शाहाब

चंद्र:- उसके आते हम सोमङ्गर चलेंगे मैंने पंडित जी से बात की है ।।

अर्चना:-।अब शेखर हमेशा हमारे साथ रहेगा उसे अब कहीं नहीं जाने दूंगी

चंद्र:- इतना साल कम दूर रहा जो अब और रहेगा।।


अगला भाग 🙏🙏









Related Stories