...

12 views

एक दोस्त ऐसी भी..
क्या करना क्या नही है करना सब समझाया करती है
मुझ पर यारों वो हिटलर जैसा हुक्म चलाया करती है
किया क्या पूरे दिन भर उसने यह सब सुनना पड़ता है
भूल न जाऊं मैं बाते उसकी माले सा बुनना पड़ता है
कैसा गुजरा है, दिन मेरा हर एक बात बताना पड़ता है
मन न हो लेकिन वो बोले तो खाना भी खाना पड़ता है.
© @सूरजयादव