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राज एक अनहोनी


दोस्तों कहानी की शुरुआत शिमला की हसीन वादियों से शुरू होती है। जहां पर मिलन अपनी वाइफ मीनाक्षी के साथ शिमला की हसीन वादियों में एक रिसॉर्ट में ठहरने के लिए आए थे। क्योंकि मिलन की शिमला में नई नई जॉब लगी थी। वे लोग उस रिसॉर्ट में सही ढंग से रह रहे थे उनकी हसीन लम्हे शिमला की वादियों में कट रहे थे वे दोनों वहां पर बहुत खुश थे।

उनके घर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर घना जंगल से होता हुआ रास्ता एक कब्रिस्तान में जाता था। उस कब्रिस्तान के बारे में एक अजीब बात पूरी शिमला में फैली हुई थी बहुत से लोग कहते थे कि जो कोई भी उस कब्रिस्तान के पास जाता है दोबारा कभी वापस नहीं आता है कुछ ऐसा ही मीनाक्षी के साथ होने वाला था।

मिलन अपने जॉब करने के लिए सुबह सुबह जल्दी चला जाता है अब घर में मीनाक्षी अकेली है कि तभी अचानक उसके कानों में किसी के चीखने की आवाज आती है मानो ऐसा लगता है जैसे कोई उसके कान के पास खड़ा होकर उसके नाम को बुला रहा है मीनाक्षी...............।

और एक पल में ही मीनाक्षी उस आवाज को सुनकर चौक जाती है और यह जानने की कोशिश करती है कि इस नए शहर में आखिर मुझे आवाज देने वाला कौन प्रकट हो गया है। मीनाक्षी डर जाती है और वह उस आवाज की तरफ बढ़ने लगती है वह आवाज कहीं और से नहीं बल्कि उस कब्रिस्तान से आ रही थी।

दूसरे ही पल मीनाक्षी उस कब्रिस्तान की तरफ बढ़ने लगती है जैसे ही मीनाक्षी जंगल की तरफ पहुंचती है कि तभी फिर दोबारा से वही आवाज आती है उस आवाज में बहुत ज्यादा भारीपन होता है। वह कब्रिस्तान में पहुंचते ही कब्रिस्तान का गेट खोल देती है और अंदर घुस जाती है उसके अंदर जाते ही कब्रिस्तान का गेट अपने आप बंद हो जाता है।
मिलन अपनी ड्यूटी पूरी करके घर पर आ जाता है परंतु उसे मीनाक्षी कहीं नहीं मिलती है लगभग चार-पांच घंटे तक वो उसका घर पर इंतजार करता है लेकिन मीनाक्षी उसे कहीं नजर नहीं आती है वह बहुत डर जाता है और इसी डर की वजह से पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने चला जाता है।

लेकिन जब वह घर लौटता है तब उसे अपनी मीनाक्षी दिखाई पड़ती है जो की रसोई में खाना बना रही होती है और वह मिलन को देखकर कहती है कि आप कहां चले गए थे मैं आपको कब से ढूंढ रही हूं। मिलन उसको एकदम अपने पास देख कर चौंक जाता है और उससे कहता है कि मैंने तुमको पूरे घर में बहुत ढूंढा लेकिन तुम मुझे कहीं पर भी नहीं दिखाई दीं फिर अचानक से तुम कहां से आ गई? मीनाक्षी बात को काटते हुए बोलती है कि अरे! तुम भी क्या बहाना बना रहे हो मैं तो कब से तुम्हारे सामने खड़ी थी पर तुम मुझे देख नहीं रहे थे।

मीनाक्षी की बात को सुनकर मिलन चौंक जाता है और कहता है कि तुम मेरे सामने कब खड़ी थी मैंने तो पूरा घर ढूंढा परंतु तुम मुझे कहीं दिखाई नहीं दीं। (पता नहीं ऐसा क्यों लग रहा था कि यह पहले वाली मीनाक्षी नहीं है जब से वह कब्रिस्तान से वापस आइए तब से मीनाक्षी थोड़ा बदल गई थी।)

और यही बात मिलन को बहुत ज्यादा खटक रही थी कि मेरी मीनाक्षी एकदम से बदल कैसे गई है? एक रात की बात है मीनाक्षी और मिलन दोनों कमरे में सो रहे थे कि तभी मिलन को दूसरे कमरे से किसी के चलने की आवाजें आती है जैसे मानो उसके पैरों की पायल बज रही हो और पायल में बंधे हुए घुंगरू खन खन की आवाज कर रहे हों। वह अपनी पत्नी मीनाक्षी की तरफ देखता है परंतु मीनाक्षी तो उसके साथ सो रही है। वह इसे अपना भ्रम समझ कर सो जाता है लेकिन वही आवाज दोबारा से आने लगती है।  तभी मिलन एकदम से चौंककर उठ जाता है और दूसरे कमरे की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगता है, वह जैसे ही कमरे में पहुंचता है कि उसे वहां पर कोई कुर्सी पर बैठा हुआ दिखाई देता है।

कुर्सी पर एक काला साया बैठा हुआ था जिसे देखकर मिलन के हाथ पैर कांपने लगते हैं और मिलन बहुत धीरे-धीरे अपने कदमों को उस कुर्सी तक बढ़ाता है। वह उस साये के सामने जाने वाला था कि अचानक से पीछे से मीनाक्षी आ जाती है और कमरे की लाइट जला देती है और मिलन से पूंछती है कि इतनी रात को तुम इस कमरे में क्या कर रहे हो? ऐसे में मिलन बहुत डरा हुआ अपनी पत्नी की तरफ देखता है और उसको बताता है कि मैंने अभी यहां पर किसी को बैठा हुआ देखा था परंतु जैसे ही तुम यहां पर आई इस कुर्सी से काला साया चला गया।
दूसरी रात मिलन और मीनाक्षी दोनों सो रहे थे तभी रात के 1:30 बजे मीनाक्षी नींद से जाग जाती है और उठ कर उसी कब्रिस्तान की तरफ जाने लगती है इसी बीच मिलन भी जग जाता है और मीनाक्षी को अपने पास ना देख कर सोच में पड़ जाता है। इतनी रात मीनाक्षी कहां चली गई तभी उसे मीनाक्षी के जाने की आहट सुनाई पड़ती है वह धीरे-धीरे उसके पीछे पीछे चल देता है मीनाक्षी उसी कब्रिस्तान के अंदर चली जाती है जैसे ही मिलन कब्रिस्तान तक पहुंचता है कि तभी कब्रिस्तान का गेट अपने आप बंद हो जाता है और इस तरह से मिलन कब्रिस्तान के बाहर ही मीनाक्षी को आवाज लगाता रह जाता है परंतु मिलन की एक भी आवाज मीनाक्षी के कानों तक नहीं जाती है और इस तरह से थक हार के मिलन, उसी कब्रिस्तान के गेट के बाहर रोता हुआ बैठ जाता है और इस तरह से मिलन की कब आंख लग जाती है उसे पता भी नहीं चलता है।

सुबह होते ही मीनाक्षी मिलन को ढूंढते हुए कब्रिस्तान के गेट तक पहुंचती है मिलन कब्रिस्तान के गेट के बाहर ही बेसुध पड़ा हुआ था। मीनाक्षी उसे जगाती है और बोलती है कि आप यहां कब्रिस्तान के बाहर क्या कर रहे हो मैंने आपको घर पर बहुत ढूंढा परंतु आप मुझे कहीं नहीं मिले। मिलन घबराता हुआ उठता है और मीनाक्षी मीनाक्षी करता हुआ जाग जाता है इतने में मीनाक्षी उसको बताती है कि मैं तो तुम्हारे सामने ही हूं फिर तुम यहां क्या कर रहे हो मिलन को बड़ा ही अच्ंमबा होता है और मीनाक्षी से कहता है कि कल रात को तुम कब्रिस्तान के अंदर चली गई थी और मैं तुम्हारे पीछा करता हुआ यहां तक आ गया। क्या तुमको कुछ भी याद नहीं है, मीनाक्षी उसे बताती है कि मैं तो कल रात से तुम्हारे साथ ही थी फिर तुम किसके पीछे पीछे यहां तक आ गए मुझे कुछ भी पता नहीं और तुम कैसी बातें कर रहे हो?
बहुत दिन बाद मिलन एक मंदिर के पास से गुजरता है साथ में उसकी मीनाक्षी भी होती है मीनाक्षी मंदिर के सामने जैसे ही जाती है कि अचानक से वह डर के मारे कांपने लगती है और तुरंत वहां से भाग जाती है मिलन को उसका यह व्यवहार अच्छा नहीं लगता है मंदिर का पुजारी मिलन के पास आता है और उससे उसकी परेशानी पूछता है मिलन बताता है कि मेरी वाइफ कई दिनों से अजीब व्यवहार कर रही है और वह हमेशा कब्रिस्तान में जाती हुई दिखाई देती है

तभी मंदिर का पुजारी समझ जाता है कि इसकी पत्नी के साथ कुछ तो हुआ है वह मिलन को बताता है कि जो कोई भी उस कब्रिस्तान के अंदर जाता है यदि वह दोबारा वापस आता है तो वह प्रेत योनि में प्रवेश कर जाता है इसका मतलब यह है कि तुम्हारी पत्नी भी अब जिंदा नहीं है वह मर चुकी है और जिसके साथ तुम रह रहे हो वह एक प्रेत योनि में भटकती हुई आत्मा है।

तुमको बहुत जल्द इस आत्मा से छुटकारा प्राप्त करना होगा नहीं तो आगे चलकर यह तुम्हें भी मार डालेगी। परंतु मिलन को पुजारी की बातों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं होता है। मिलन पुजारी से कहता है कि मेरी पत्नी मरी नहीं है इसीलिए मुझे आपकी बातों पर कोई विश्वास नहीं है पुजारी मिलन को यकीन दिलाने के लिए उसे एक रुद्राक्ष की माला देता है और कहता है कि यह माला उसको पहना देना यदि वह प्रेत योनि में है तो वे इस माला को कभी नहीं पहनेगी। और फिर तुमको यकीन हो जाएगा कि तुम्हारी पत्नी प्रेत योनि में है या नहीं।
दोस्तों मिलन के पास रुद्राक्ष की माला थी वह अपने घर जाता है और रुद्राक्ष की माला अपनी पत्नी के गले में डाल देता है माला गले में पडते ही मीनाक्षी तड़पने लगती है और वहां से भागती हुई कब्रिस्तान पहुंच जाती है।

लेकिन जाते-जाते वह एक चेतावनी मिलन को दे जाती है वह बोलती है कि मैं तुझे भी जिंदा नहीं छोडूंगी।
मिलन वहीं पर बेहोश होकर गिर जाता है और थोड़ी देर बाद जब उसे होश आता है तो बहुत रोता है और अपनी पत्नी की याद में खो जाता है।

थोड़ी देर बाद वह उसी पुजारी के पास जाता है और उससे कब्रिस्तान के राज के बारे में पूछता है। पुजारी बताता है कि कई साल पहले यहां पर एक अस्पताल हुआ करता था जिसका डॉक्टर पागल मरीजों का इलाज किया करता था। 1 दिन उसके अस्पताल में आग लग जाने की वजह से बहुत ज्यादा नुकसान हो गया यह नुकसान वह डॉक्टर झेल नहीं पाया और जिसकी वजह से वह पागलों की तरह व्यवहार करने लगा। वह इतना पागल हो गया था कि अपने ही कर्मचारियों को मारने लग गया और बहुत से वर्करों को उसने जिंदा जला दिया था बाद में वह डॉक्टर भी आग में जलकर मर गया।

फिर उसके बाद इस अस्पताल में कोई भी इलाज कराने के लिए नहीं आता था। वह अस्पताल समय के बदलाव की वजह से वीरान हो गया फिर आम जनता ने उसे कब्रिस्तान का रूप दे दिया। आज भी उस डॉक्टर की आत्मा इस कब्रिस्तान में भटकती रहती है और कहा जाता है कि जो भी इस कब्रिस्तान के अंदर चला जाता है वह फिर वापस नहीं आता है और यही हाल तुम्हारी पत्नी मीनाक्षी के साथ हुआ है अब वह तुम्हारी पत्नी नहीं रही। वह भी मर चुकी है। मिलन यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाता है और दूसरे ही दिन मिलन की हार्ट अटैक पड़ जाने से मौत हो जाती है।

समाप्त...................सौरभ







© Saurabh Singh