मैं और वोह?
लाखों की भीड़ मे तन्हा सा रहता था मै,
अकेलेपन मे मेरी मुस्कुराहट बन कर हसाया करती थी वोह।
जीवन की भाग दौड़ मे उलझा रहता था मै,
मेरी जिंदगी की गांठों को सुलझाया करती थी...
अकेलेपन मे मेरी मुस्कुराहट बन कर हसाया करती थी वोह।
जीवन की भाग दौड़ मे उलझा रहता था मै,
मेरी जिंदगी की गांठों को सुलझाया करती थी...