...

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अनकहा अहसास भाग- 1-
चांद पर जा पाई हैं, केवल गिनती की नारी,
उनके अलावा बाकी सब,
हैं पुरुषों के जुल्म की मारी।।
जितेन्द्र इन पंक्तियों को एक लेख में पढ़ रहा था।
लेख का शीर्षक था,
"विदेशी नारी बनाम भारतीय नारी " वह आरंभिक पंक्तियों से ही सिहर उठा था।उसे सहज भाव से रचनाकार के बारे में प्रोफाइल में पढ़ने की उत्सुकता हुई।रचना की लेखिका थीं सुनयना चक्रवर्ती। पूरा लेख पढ़ने के बाद जितेन्द्र ने दिए गए मेल एड्रेस पर अपनी प्रतिक्रिया भेज दी।
वह इस लेख से बहुत ही प्रभावित हुआ था और
नारी के उत्थान पर कुछ सुझाव देना चाहता था।
जितेन्द्र कालेज के समय से ही अच्छा वक्ता रहा था एवं अनेक वाद विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लिया था।अगले ही दिन मेल में उत्तर आ गया था। उत्तर में धन्यवाद ज्ञापन के बाद अपने विचार लिखे गए थे।भारतीय नारी के शोषण व प्रगति में...