इश्क़ और गलियां
अब तो अनजान न रहीं
वो गलियां मुहब्बत की
पता मालूम है उन्हें
दिल-ए- वेकरार का ,
वो भी भूल न सके
इश्क़ कुछ इस कदर था
दिल टूटे तो टूटे कैसे
एक तरफा ही सही
पर हमें...
वो गलियां मुहब्बत की
पता मालूम है उन्हें
दिल-ए- वेकरार का ,
वो भी भूल न सके
इश्क़ कुछ इस कदर था
दिल टूटे तो टूटे कैसे
एक तरफा ही सही
पर हमें...