प्रेम जो आत्मा से है...
प्रेम के अनगिनत रूप देखे होंगे तुमने... मां बाप का अपने बच्चों से प्रेम, भाई बहन का प्रेम, बहन बहन का प्रेम,पति पत्नी का प्रेम, दो प्रेमियों का प्रेम, भगवान और भक्त के बीच का प्रेम,
यदि आपसे पूछा जाए कि प्रेम का सच्चा रुप कौन है तो सबकी अपनी अपनी राय होगी.. कोई मां और बच्चे का प्रेम बताएगा तो कोई बाप और बच्चे का..तो कोई भगवान और भक्त का,
आप सब अपनी जगह सही होंगे किंतु प्रेम वही सच्चा, पवित्र, अमर, अजर है जहां स्वार्थ नाम मात्र भी ना हो।
मां बाप बच्चे को जन्म देते हैं.. मां बाप और बच्चा दोनों को ही एक दूसरे से कुछ ना कुछ चाहिए होता है.. वो अपने मां बाप से अच्छी परवरिश की उम्मीद...
यदि आपसे पूछा जाए कि प्रेम का सच्चा रुप कौन है तो सबकी अपनी अपनी राय होगी.. कोई मां और बच्चे का प्रेम बताएगा तो कोई बाप और बच्चे का..तो कोई भगवान और भक्त का,
आप सब अपनी जगह सही होंगे किंतु प्रेम वही सच्चा, पवित्र, अमर, अजर है जहां स्वार्थ नाम मात्र भी ना हो।
मां बाप बच्चे को जन्म देते हैं.. मां बाप और बच्चा दोनों को ही एक दूसरे से कुछ ना कुछ चाहिए होता है.. वो अपने मां बाप से अच्छी परवरिश की उम्मीद...