...

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दोगले लोग दोगला समाज
ये कैसा समाज है
जहाँ एक पीड़ित को
सहानभूति के बदले उसे
ताने और गंदे नज़रों से देखा जाता है

बल्तकारी का सीना तो खुशी
से फूल जाता होगा
की मेरा बाद अब ये समाज
उस लड़की के इज्जत से
खिलवाड़ जो करता है

ये वही लोग है जो
वस्त्र हरण में कौरवों को
सही और द्रोपदी को
गलत ठहरा दिया

सीता जी जैसी एक स्त्री
पर न जाने कैसा लालछन
लगा दिया

फिर तुम तो इस युग की आम
सी एक लड़की हो
यहाँ तुम्हारी पीड़ा किसी को
दिखाई नहीं देगा

वो हैवान तुमसे खिलवाड़ कर
फिर किसी दूसरी जगह
दूसरी लड़कियों के साथ
बदसुलूकी करेगा

पैसे से कुछ दिन महीने
तक मुकदमा चलेगा
पर गरीब की बेटी है ये कह
कर कानून भी सब रफा दफा करेगा

क्यों सही अन्याय हर जगह नहीं होता है
जरूरी तो नहीं की हर वर्दी वाला नवीन सिकेरा जी जैसा ईमानदार ही बनता है

लड़कियो के चाल ढाल रंग रूप पहनावा
पर ये समाज जो सवाल उठाता है
और इसी लिए उस दरिंदों को इस बातो से मौका मिल जाता है

दूसरी की बेटी का सरेआम जो चर्चा करते है
इसी लिए उन लोग और ऐसे समाज को हम दोगला कहते है


© रौशन rosi...✍️🍁