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संस्कार की दुहाई देने वाला समाज
यह कहना मुश्किल नही है ,कि संस्कार की दुहाई देने वाला समाज किसके अनुसार चलेगा। समाज में रहने वाले लोगों का दृष्टिकोण साफ़ साफ़ नजर आता है,कि गरीबों का कोई नहीं होता और अमीरों का साथ हर को कोई देता है।
वह इंसान जिनका बचपन सड़क किनारे अपने परिवार का पेट पालने के लिए मेहनत मजदूरी करके बीतता है।उनके लिए इस समाज के लोग सहानुभूति तो रखते है।पर उनका साथ देने वाला कोई नहीं होता है।और एक और वह लोग जिनका बचपन ऐसो आराम से बीतता है।जिन्हें भोजन और पैसों की कीमत तक का भी नहीं पता होती। इस समाज के लोग उन्हीं का साथ देते हैं।
इस समाज के लोग खड़े हमेशा उन्हीं के साथ होते हैं ,जिनका पलड़ा भारी होता है। झूठा दिखावा करना तो इस समाज का प्रचलन हो गया है, क्योंकि इस समाज का हर व्यक्ति दोगले पन से परिपूर्ण है। गरीबों के प्रति सहानुभूति रखते हैं।पर उनकी मदद करने के लिए कभी आगे हाथ नहीं बढ़ाते हैं और वहीं दूसरी ओर अमीरों की चमचागिरी करने से बाज नहीं आते हैं।