...

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यादाश
सहबाज को उसकी प्रेमिका के नंबर से मेसेज आया...
हेल्लो, में रेनू बात करती हूं, दीदी की यादश तो ना रही। और वो फोन काट दी।
सहबाज़ थोड़ा हड़बड़ा गया...
लड़की को फोन मिलाया..
मगर आगे से वो आवाज सुनने को ना मिली।
जो सहबाज हमेशा सुना करता था:- हेल्लो, कैसे हो बिल्लू,... मैं भी ठीक हूं। तुम्हें बहुत मिस करती हूं।

सहबाज हैरत में था। फिर से फोन किया। तीन चार बार फोन किया। लड़की की बहन ने फोन उठाया।

बोली:- अब फोन मत करो। जो भी कहा सच है। मुझसे अब बात मत करो। तुम लोग मुझे पागल मत करो। दीदी ने तो वैसे ही जीना हराम किया है।
सब परेशान उसकी वजह से। ले जाओ उसको।

वो फोन काट दी।
सहबाज की आंखे भर आई।
दिल बोलने लगा। यार तड़पती थी वो तुम्हारे लिए। सारा कसूर तुम्हारा है। धर्म तो उसका भी अलग था, मगर उसने कभी हार नहीं मानी। कितनी जिद्दी थी वो। हमेशा जिद्द करती थी। मैं तो घर वालों की मार से ही डर गया। वो सही कहती थी कि मै डरपोक हूं।

सहबाज को याद आया। उसके द्वारा कहीं बात।
:- मेरी दुनिया उजाड़ कर अपना घर बसाने चले हो। तुम लोग भी कभी खुश नहीं रहोगे। मेरी हाय लगेगी।

फिर चीख कर बोला सहबाज़। :- अच्छा हुआ उसकी यादाष चली गई।
अब भूल गई होगी वो मुझे, अब वो रोज़ रोज़ मुझे याद तो ना करेगी।
मेरे किए वादे भी भूल गई होगी।
जो वादा किया था उससे मिलने का, जो लाल सूट वो खरीदी थी। सब भूल गई होगी।

तभी फोन बजा :- बचकानी आवाज में वो बोली:-
सहबाज।
फोन कट गया।




© jyoti