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ये उन दिनों की बात है...
चलो आज हम भी एक किस्सा आपसे साझा करते हैं। ये उन दिनों की बात है जब हमने class 10th का exam दिया था और छुट्टियां मनाने के लिए घर पर ही थे। उस समय दिमाग़ में बहुत सारी बातें चल रही होती थी कि result कैसा आएगा , कौन से school में admission लेंगे , कौन सा subject choose करना है और भी बहुत कुछ।

exam के बाद जैसे तैसे एक महीना बीता तब तक admission का time हो गया था। अब school तो हमनें exam से पहले ही सोचा था और इस बारे में अपने दोस्तों से बात भी की थी कि हम सब साथ में पढ़ेंगे एक ही school में।

मेरे School का नाम सरस्वती शिशु मंदिर है जहां हमने class 10th तक पढ़ाई की। यह मेरा पहला School है और यहां से मेरी ज़िंदगी की बेहतरीन यादें जुड़ी हुई हैं। यही School जिसने हमें शिक्षा के साथ संस्कार भी दिए हैं । इसी School में हमें बहुत अच्छे दोस्त मिले जिनके साथ मेरा बचपन बीता और कुछ बड़े भाई बहन जैसे लोग भी जिन्होंने हमें हमेशा support किया हमारे साथ रहे और हमें बहुत कुछ सिखाया। इसी School में हमें वो Teachers मिलें जिन्होंने हमें बहुत अच्छी शिक्षा दी।

जिस School में हमें Intermediate में admission लेना था उसका नाम है सरस्वती बालिका विद्या मंदिर इंटर कॉलेज। फिर क्या था हमनें ये बात पापा को बताया तो वो तो बोले ठीक है देखते हैं। फिर पापा ने school में बात की तो पता चला कि वो school English Medium CBSE Board है। पर नाम से मुझे लगा था कि यह भी Hindi Medium School ही होगा। इससे पहले हमने Hindi Medium School से पढ़ाई की थी। फिर भी हमने अपना मन नहीं बदला और ये decide किया कि School चाहे जिस mediuam से हो पढ़ेंगे तो उसी में।

फिर पापा Entrance test के लिए ले गए, Paper में जो questions थे उसमे से Maths तो हो गया Physics के Neumerical हो गए और Highschool में जो पढ़ा था इसके basis पर test clear हो गया और फिर admission हुआ।

पर अफ़सोस बस इस बात का था कि मेरे साथ मेरे किसी भी दोस्त का admission उस School में नही हुआ। उन दिनों मुझे सबसे ज्यादा इसी बात का बुरा लगता था कि मेरे सभी दोस्त छूट गए। हम बहुत अकेले पड़ गए थे वहां मेरा कोई दोस्त नहीं था। हम वहां बहुत शान्त रहने लगे थे बहुत गुमसुम से रहते थे मानो कुछ खो गया हो।.............. Continue with next.


© Jaya Tripathi