चारूलता
प्रणय की रात थी-चारो ओर सन्नाटा था।चांद अपने पूरे शबाब पर सफेद दूधिया चांदनी बिखेर रहा था ,मानो वो भी किसी के इंतजार में बैठा हो।
सामने किले में से आती हुई
मदम सी रोशनी पूरे वातावरण को रंगीन बना रही थी।सामने झूले पे बैठी हुई चारूलता अपनी मादकता से वातावरण को हसीन बना रही थी।
चारूलता .......
सामने किले में से आती हुई
मदम सी रोशनी पूरे वातावरण को रंगीन बना रही थी।सामने झूले पे बैठी हुई चारूलता अपनी मादकता से वातावरण को हसीन बना रही थी।
चारूलता .......