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पिवजी घरा आवेगा ( राजस्थानी देश भक्ति गीत )
ना जाणे कित्ता नै घाट मौत के तार दियों
तीज त्यौहारा, रिश्ता नाता सार नै मार दियों
होग्या पाप मोकळा म्हारे स्यूँ मावड़ी
या ले या पापी आत्मा भी थारे पे वार दियों

खम्मा घणी सा .…!

म्हं किरण कुमावत जयपुर आळी ।एक गीत लेर आई छु , गीत ऊ टेम रो छै जद एक जवान शहीद हो जावै सारा गाँव मै समाचार फैल जावै पण ऊरी मरवण नै ठा कौनी चालै । रात नै ऊने सपनों आवै की काल तड़के वे ड्यूटी स्यूँ घरा आवेला वा खुब तैयारियां कर रही छै ,घणी राजी हों रही छै पण साथे ऊने अशुभ संकेत भी हों रया छै । उने समझ कौनी आवै कि हो काई रयो छै तो वा सुबह उठ के अपणी सखी , पाड़ोसण स्यूँ बतळा रही छै .........!


डट जा दो यै घणी म्हारी मन मीता की
केऊ री केऊ तनै सपना बीता की
***
दूर बस्योड़ा पिवजी आज घरा नै आता दिखै
पण या कोयल बावली क्यूँ अणुति चीखै
कह दे कह दे इनै राग पकड़े मिठा गीता की
केऊ री केऊ तनै सपना बीता की
***
ऊबी न्हाळु बांट बारणे देख राजी होवेला
बण म्हारे हिवड़े रो हार मूंगा मोत्या सा शोवेला
पण ना जाणे क्यूँ गूंजे वाज भांडा रीता की
केऊ री केऊ तनै सपना बीता की
***
सोलह म्हं श्रृंगार सजाई ओढ़ी पोमचो सगबण को
निरख - निरख मन में हरसावै रूप प्यारी गजबण को
पण ख्यांणा क्यूँ दिखै लाय बळती चीता की
केऊ री केऊ तनै सपना बीता की


भगवान जी नै इती बहादुर कोई महिला कौनी बणाई जिनै इत्ता अशुभ संकेत होया पाछै भी काळजो भर नै आवै । गीत रा आखिर छंद मै उरी सखी , पाड़ोसण ऊने ढांढस बंधा रही छै....... !


गाढ़ो राख काळजो यूँ ना नैणा स्यूँ नीर बहावे
रामजी भी कर रया हाँसी झूठी कहाणी तनै कहावे
ऊँची झांक थोड़ी राखै नै मान वाकी जीता की
काई मत केवे री मनै सपना बीता की