तन्हा कमरे में मैं और वो तन्हा
इस वक्त रात के 1 बजकर 45 मिनट हो रहे हैं और ”हैदर" मोबाइल को चार्जिंग से निकाल कर लिख रहा है, अक्सर वो अपने ही मोबाइल में नोटपैड पर लिखता है। आप में से बहुत से सोचेंगे भी कि देर रात को लिखने की क्या तुक है भई..? सुबह को किसी माअकूल वक्त निकाल कर आराम से लिख लेते लेकिन अब हम आप सबसे कैसे बताएं कि इस वक्त लिखने का जवाज़ माअकूल वक्त नहीं है...! अरे....नहीं...नहीं नींद का ना आना भी नहीं मगर कह सकते हैं आप कि इस वक्त वैसे भी हैदर को नींद भी नहीं आ रही है तो लिखने बैठ गए। मगर बात ये भी नहीं है।
ख़ैर..! हम बात आगे बढ़ाते हैं–
"हैदर" का घर काफी बड़ा तो नहीं अलबत्ता ठीक है जिसमें इसका परिवार बा-मुश्किल नौ अफ़राद पर मुश्तमिल है, हमने बा-मुश्किल इस लिए कहा है क्योंकि अभी एक भतीजा सिर्फ 2 साल का है। इसके अलावा घर में 3 कमरे लगातार हैं, एक कमरा बीच में है और दो कमरे उसके साइड में। सभी की माकूल पैमाईश है मगर बीच वाला कमरा कुछ हद तक लंबाई में उन दोनों कमरों से बड़ा है।
इस कमरे के एक साइड दरवाज़ा है जो कि बाहर से वो ही दिखाई देता है क्योंकि एक तरफ से दूसरा कमरा आ जाता है जैसा की हमने पहले बताया था और उसी दरवाज़े के पीछे एक अच्छी-खासी चारपाई की जगह है या यूं कहें कि एक चारपाई पड़ी है जो "हैदर" की आराम-देह बिस्तर के रूप में मौजूद है और दूसरी तरफ़ सामान रखा हुआ है।क्योंकि इसे ज़्यादातर स्टोर रूम के रूप में इस्तेमाल किया जाता है यहां बिस्तर, संदूकें और अनाज की टंकी रखी गई है।
रोजाना की तरह "हैदर" आज भी 10 बजे तक स्टडी किया और फिर सोने की गरज़ से बिस्तर पर आ...