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MOBILE RECHARGE-A SHORT LOVE STORY
में दुकान पर लगे कैलेंडर को गौर से देख रहा था,आज सोमवार 1 तारीख थी,मंद-मंद मुस्कान मेरे चेहरे से जा ही नहीं रही थी,क्योंकि जानता था की 29 दिन मैंने आज के कुछ पलों के लिए इंतजार किया था, मैं आज दूसरी बार इस दुकान पर जा रहा था।जब पहली बार गया था तब उसे देखा था,और बस देखता ही रह गया था।मेरी नजरें उस लड़की पर से हट ही नहीं रही थी,उसके गोरे चेहरे से समझदारी और परिपक्वता झलक रही थी,शायद इन्हीं कुछ कारणों की वजह से में उसके चेहरे को देखता ही रह गया था, उसके चेहरे और उसके हाव-भाव से वो लगभग 11-12 वीं कक्षा की छात्र दिखाई पड़ती है,मेरे मन ने यह अनुमान लगाना भी शुरू कर दिया था कि वह सिंगल है या भी नहीं,माँ कमरे में आई और चाय का कप टेबल पर रख कर बोली "आज क्या बात है बड़ी जल्दी में दिखाई पड़ता है "कुछ खास", (मेरा चेहरा अब भी आईने की तरफ़ ही था,मैं आईने के सामने खड़ा होकर अपने बाल जमा रहा था,और यह भूल ही गया कि माँ चाय लेकर अभी आती ही होगी,अक्सर ऐसा नहीं होता,पर आज का दिन कुछ खास है, मां मुझे रोज अपने कमरे में उठाने आती थी,वह प्यार से चद्दर खींचकर,पंखा बंद कर मुझे आवाज लगाती,जब मैं नहीं सुनता तो चाय का कप टेबल पर रख कर चली जाती,और मुझे वही ठंडी चाय पीनी पड़ती थी,पर आज मेरे नसीब में गर्म चाय रखी थी,शायद इसके पीछे भी वह लड़की ही है) म मुझसे कुछ पूछ रही थी,मैंने यह कह कर माँ की बात टाल दी कि,'मेरे दोस्त ने कपड़ो की दुकान खोली है,उसी के उद्घाटन में जा रहा हूं', माँ सामने ही खड़ी रही,जब मैंने कुछ परफ्यूम ज्यादा ही लगा लिया,मां ने मुझे शक की नजर से देखा,माँ से अपनी आंखें बचाते हुए जल्दी से तैयार होकर घर से बाहर निकल आया था,मैं समझ गया था की माँ समझ चुकी है,आखिर क्यूं न समझती वह भी एक 'महिला' है,बीच मे पड़ती एक फूलो की दुकान से एक पीला गुलाब ले लीया,दोस्तो से सुना था कि पीला गुलाब दोस्ती के लिए दिया जाता है,मां के प्रश्नों से बचने के चक्कर मे ,में दुकान समय से 30 मिनट पहले ही पहुंच चुका था,मेरे पास बैठ कर इंतजार करने के सिवा और कोई काम भी नहीं था, जैसे-तैसे आधा घंटा बीता,अब 7:30 बज चुके थे,कुछ ही पल में वह भी दिखाई दे गई,उसके आगे चल रहे साइकिल रिक्शा की बीच की कुछ जगह से बस उसका चेहरा ही दिखाई पड़ रहा था,चूंकि अभी 7:35 बज रहे थे,उगते सूरज की किरणे,पेड़ों से छलक कर उसके चेहरे पर पड़ रही थी,वह पहले से ही गौरी थी और सोने से दिखाई पड़ रही थी,उसने अपने स्कूल के कपड़े पहन रखे थे,में दुकान की सीढ़ियों पर बैठा उसे देख रहा था,जब वो मेरे कुछ नज़दीक आई ओर दुकान के लिए पहली सीढ़ी चढ़ी ही होगी कि में उठ खड़ा हुआ,"हमारी नजरें मिली" मैं सीढ़ियों से नीचे उतर ही रहा था कि मेरा सीधा पाँव मूडा और मै अटखलिये खा कर सीधा जा खड़ा हुआ(भगवान का शुक्र है मेने मन ही मन कहा,गिरने से बच गया),वह मंद सी होठों पर इक मुस्कान लेकर दुकान की सीढ़ियां चड़ गई और दुकानदार को पैसे देकर बोली "भैया मम्मी के फोन में रिचार्ज कर देना",पलटकर सीढ़ियों से नीचे उतरते वक्त उसने मेरे शर्ट में फंसा गुलाब देख लिया था( आमतौर पर लड़कियां एक ही बार किसी लड़के से नजर मिलाती है) इसलिए वह बिना हंसे-मुस्काए पलटकर बालों को पीछे सहलाते हुए वहां से चली गई,जब वह जा रही थी उसने किसी दुकान की तरफ भी मुड़ कर नही देखा,जैसे वह हालातों को समझ गई हो कि,मैं यह गुलाब उसी के लिए लाया हूं, उसकी गली का मोड़ आया और वो गली में मुड़ गई,मैं कुछ सोचते हुए अपने दोस्त की चाय की होटल की तरफ चल पड़ा,ज़ाहिर है में पैदल आया था तो घर जाना भी पैदल ही था,मेने एक कप चाय का आर्डर दिया और चुपचाप एक कोने में बैठ कर सोचने लगा,'उसने मुझसे चाय लेने को कहा' मैं चाय का कप हाथ में लिए सोच रहा था कि अब इस गुलाब का क्या करूं,जाहिर है कि मैंने इसे पैसे देकर खरीदा है,पर मेरे पास इसको फेंकने के सिवाय और कोई रास्ता भी नहीं था पर मेने गुलाब को फेंक नही बल्कि उसी चाय के कप के साथ उस टेबल पर छोड़ कर,में घर की तरफ चल पड़ा।
© divu