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रिश्वत
रिश्वत ....
साहेब बहुत अच्छी नौकरी मे है , संस्कार ऐसे मिले थै की सम्पूर्ण गीता जैसे खून की एक एक बूंद में मौजूद थी, धर्म और न्याय तथा कार्य के प्रति समर्पण ये सब तो जैसे उसके बाऊजी ने घोल घोल कर पिलाये थे... आज सुबह सै ही अनमने और चिंता में लग रहा था पडौस में रहने वाले सुरभित जिसकी कुछ वर्षपहले मृत्यु हो गयी थी ,कोई फैक्टरी में काम करता था दो बच्चे थे उसकी मौत के बाद.. उसकी पत्नि जो ज्यादा पढी लिखी नहीं थी इधर उधर काम करके बच्चो को पाल रही थी.. कभी कभी उनकी स्कूल फीस भरने कै लिये साहेब मदद किया करता था और होली दिवाली अपने बच्चो के पटाखे लाता तो थोडे उनके लिये भी,जो छोटी मोटी बन पडती मदद कर देता था.. कल सुबह ही वह घर आयी थी.. बेटे को सांस की नली में प्राब्लम है बहुत दिनों से इलाज चल रही रहा है.. डाक्टर कह रहे हैं अब आपरेशन करना पडेगा वरना कभी भी...
दो लाख का खर्चा है ...रिश्तेदार कोई भी इतना उधार देने से मना कर चुके हैं.. आप मदद करते आयें है मेरे बेटे को बचा लिजीये.. ,साहेब हालांकी अच्छी नौकरी मे था पर एक तो इमानदार ऊपर से आये दिन मां की डायलिसिस.. पत्नि के बी पी लो रहने से उसको आये दिन अस्पताल के खर्चे साथ में बच्चो की पढायी ..समाज में मदद के लिये आगे रहने के संस्कार, पिछले साल बाऊजी जी के इलाज पर दो लाख का पर्सनल लोन लिया था बाऊजी जी तो नहीं बचे पर लोन अभी तो बचा हुआ है इसकी किश्ते... आफिस में बेठे बेठे साहेब के दिमाग मे बार बार सुरभित का बच्चा आ रहा है.. पर दो लाख कोई छोटी रकम नहीं है पहले से लोन चल रहा है उसकी किश्त ही बमुश्किल दे पाता है ,.....टेबल पर फाईल पडी है कुछ पेपर्स उसमे कम है ..अफसरो के बार बार प्रेशर के बाद भी फाईल पास नहीं हुयी.. साहेब कभी ना तो रिश्वत लेता है ना ही दबाव में आता है इस वजह से बहुत बार बडे अफसरो की आंख का कांटा भी बन चुका है..... साहेब फाईल को देख रहा हैं सुरभित का बच्चा दिमाग मे खेल रहा है,
साब कोई कुप्तान जी मिलना चाहता है ...बाहर है कहे तो भेज दू अन्दर.. चपरासी बोला, हां हां भेज दो.. साहेब ने इशारा किया... चेम्बर में कुप्तान जी आता है ,बैठिये कुप्तान जी ...साहेब बोला कहिये..,
जी.. वो फाईल ..कुप्तान बोला।
पहले पेपर्स पूरे कीजिये और अफसरो के फोन कराना बन्द किजीये... फाईल हो जायेगी
साहेब पेपर्स तो नहीं है में आपको कुछ दूसरे पेपर्स दे सकता हूँ... इतना कहते हुये कुप्तान ने एक पैकेट साहेब की तरफ बढाया... पूरे दो लाख है..
क्या कर रहे हैं कुप्तान.. पुलिस को फोन करूं.. गेट आउट अपनी गंदगी अपने साथ ले जाओ...साहेब को गुस्सा आ गया
इतने में साहेब की फौन की घंटी बजी.. सामने से बडे अफसर का फौन था "साहेब.. कुप्तान का काम आज होना चाहिए.. किसी भी हालत में वरना अपना ट्रांसफर तय समझो ऐसी जगह भेजूंगा की.. याद रखोगे " ।
फोन कट गया
...साहेब ने अपनी टेबल की रैक खोल दी.. कुप्तान समझ चुका था उसने पैकेट रैक में पटक दिया और चुपचाप मुस्कुराता हूआ चलता बना।
साहेब को सुरभित का बच्चा हंसता हुआ दिखायी दे रहा था.. और खुद के बाऊजी रोते हुये... उनके बच्चे ने आज रिश्वत ली थी ।
मुकेश कुमार कुमावत