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आत्म संगनी से मिला स्नेह अपरंपार

यूं तो आत्म संगनी से मेरे बंधन को लगभग 2वर्ष का स्वर्णिम समय हो चुका था लेकिन आत्मा का मिलन वास्तविक मिलन के बिना कुछ अधूरा अधूरा सा था।
गत दिनों एक सपना साकार हुआ मुझे मेरी प्रियेसी का दीदार हुआ,उसका छुआ ,उसको चुम्बन किया,उसको महसूस किया।उसके स्पर्श को महसूस किया,महसूस की उसके बदन की खुशबू,महसूस किया उसका आलिंगन,महसूस किया उसके हृदय के कम्पन को।
उसकी आंखों में मेरे प्रति भरे स्नेह के समंदर में मैने अपने आप को पाया। उसके आंसू भरे नयन लगातार मेरी सूरत पर टिके थे,उसका हाथ मुझे छू रहा था और मेरे अंदर एक समंदर लगातार उफान भर रहा था। उसको मुझे टकटकी बांधे देखते रहना मुझे अजीब सा सकुन दे रहा था। उससे मुलाकात में कब घंटों का सफर मिनिट में गुजर गया पता ही नही चला।
उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था और एक और मैं उसको साक्षात पाकर फूले नहीं समा रहा था। सावन सोमवार को उससे मिलने का लगन हुआ और दूसरे सोमवार से पहले यह मीठा एहसास मेरे जीवन की अनमोल धरोहर बन गया। उसकी जुल्फों की खुशबू,उसके होंठो की चाशनी उसकी आंखों का दरिया,उसकी सांसों की रवानी उसके मुलायम मुलायम जिस्म का अजीब सा सकुन देने वाला स्पर्श मेरे लिए नायाब था।
उससे मेरी पहली साक्षात मुलाकात एक खूबसूरत जंगल में हुई थी जब वह अपने सिर पर रखकर एक गठरी मे मेरे लिए अपने प्यार ,अपने अहसास ,अपने समर्पण की बेशकीमती चीजें लाई थी,मेरे सामने बैठी छुई मुई की तरह सिमटी हुई बैठी थी,मेरे स्पर्श से उसके बदन में हुई सिहरन को मैं महसूस कर रहा था। उसके होंठो की सुर्खी सूख चुकी थी,सांसों की रफ्तार तेज हो गई थी,जब मैने उसके हाथ को अपने हाथों में लिया तो महसूस हुआ उसका बदन ठंडा पड़ा था,सांसों की खुशबू लगातार मेरे तन बदन में कोहराम मचाए हुई थी,जैसे ही मैने उसके नरम मुलायम होंठों को चूमा वह पानी पानी हो गई,उसकी आंखों से बहते आसूं उसकी मुहब्बत का ऐलान कर रहे थे। मुझे साक्षात अपने सामने पाकर उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। जब मैंने उसे अपनी बाहों के घेरे में लिया तो वह पिघल कर मुझमें समा गई। मुझे एक पल यह अहसास हुआ हम दो जिस्म एक जान हो गए हैं।उसने मुझे दिल खोलकर प्यार किया।मुझे महसूस किया मुझे अपने सीने से लगाया। अपनी नरम मुलायम बाहों के घेरे में लेकर जोर से कहा"जानू ,सोना,मेरे दिलबर आई लव यू"
करीब 48घंटे हम एक दूसरे की बाहों में रहे एक दूसरे की सांसों को महसूस करके हम खोए हुए थे ।हमने दुनिया भर की खुशियों को महसूस कर लिया था।

अब मेरी आत्म संगनी मेरी बाहों में थी वह जिसे सपनों में पाया करता था आज साक्षात मेरे सामने थी।सामने था उसका मासूम सा चेहरा,उसकी मासूमियत ,उसका समर्पण,उसका अथाह प्रेम।
आत्म संगनी के संग बिताए गए एक अनमोल पल मेरी जिंदगी के अनमोल खजाने थे जिसको रहती दुनिया तक मुझे सहेज कर रखना है,रखना है उसकी पाक मुहब्बत को जिंदा अपनी जिंदगी में।
मेरी आत्म संगनी मेरी जान