मंजिल को पाना इतना आसान नहीं होता
मंजिल को पाना इतना आसान नहीं होता :- अगर हम चाहे कि हमें सब कुछ मिल जाए तो ये सम्भव ही नहीं है। अगर मंजिल को पाना है तो यह मूलमंत्र याद रखना होगा:- ( साहस, इच्छा, अनुभव )। कुछ पाने के लिए बहुत सी चीजों का त्याग करना पढ़ता है। सबसे पहले तो अपनी डिक्शनरी से ना कहने की आदत को ही हटा दीजिए। फिर अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर मेहनत करके धीरे धीरे आगे बढ़े। मन में यह चल रहा है कि हम एकदम से सब कुछ पा ले तो कलयुग में तो यह संभव नहीं होगा। इसलिए अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर कार्य योजना बनाए फिर उसमें संघर्ष कीजिए और अपने मन में निश्चित कीजिए कि मैं यह काम कर लूंगा/लूंगी। सबसे पहले अपने मन के भय को हटाएं। अगर द्रढ़ निश्चय कर लिया है कि कुछ कर गुजरने का तो कभी किसी से कोई उम्मीद मत रखिएगा। बिना उम्मीद को रखे बिना किसी का सहारा लिए ही अपनी मंजिल तक पहुंचना होगा। मंजिल तक पहुंचने के लिए अकेले ही अपना सफर तय करना होगा। { कठिन परिश्रम > समस्या > बाधाएं > चुनौति > असफलता > चुनौती > समस्या > बाधाएं = सफलता } अगर आप इन सब से हंसकर गुजरने के लिए तैयार है तो आपकी मंजिल भी आपका हंसकर स्वागत करने के लिए तैयार है। नोट:-समय रहते अगर आपने समय का सदुपयोग नहीं किया तो समय आपका आपके साथ निश्चित कर देगा कि आपके साथ क्या करना है? (डॉ. श्वेता सिंह)
© Dr.Shweta Singh
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