गर्भ की यात्रा
यूं तो अनंत शक्तियाओं से युक्त मैं पिता का अंश था परन्तु उन शक्तियों का अहसास मुझे तब हुआ जब मैं मां के गर्भ में पहुंचा। यूं तो मुझ जैसे कई और भी थे परन्तु मैं वो पहला था जिसने मां के अंश को छूआ था । और मेरे जैसे कई। उस दौड़ में हार कर चले गए । मां के अंश से मुझे शक्ति मिली तो मैं दो दो से चार चार से आठ होने लगा फिर मुझे लगा कि मैं अब सक्षम हूं और अनंत को जान सकता हूं तो मैं मां के गर्भाशय की ओर बढ़ने लगा । जब मैं गर्भ में पहुंचा तो लगा कि बच ना पाऊंगा और इस डर से मां के गर्भ से चिपक गया और अपनी पूरी ताकत से अपना विस्तार करने लगा । अबतक मां को अहसास होने लगा था कि...