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इश्क-इबादत १०
वैष्णवी की नींद उसके ख्वाब सब विश्वास के हो गए। कब वैष्णवी खुद विश्वास की हो गई उसे खुद ही पता नही चला। इतनी मोहोब्बत की कहने की जरूरत ही नही रही। अल्फाजों की मोहताज नहीं रही। विश्वास वैष्णवी के घर आया। दोनो की बजट के टॉपिक को लेकर कुछ बाते चल रही थी बात थोड़ी उग्र रूप ले रही थी वैष्णवी कही से भी विश्वास से...